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सालभर बीता, हिसा के पीड़ितों के अभी भी हरे हैं जख्म

तीन दिसंबर 2018 के दिन को बुलंदशहर जिले के लोग शायद ही भूल पाए। इस दिन गोकशी को लेकर हुए बवाल में एक इंस्पेक्टर शहीद हो गए और एक युवक मारा गया। हिसा को एक साल बीत गया लेकिन अभी भी दोनों ही परिवार संतुष्ट नहीं है और इंसाफ की गुहार लगा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Dec 2019 11:08 PM (IST)Updated: Mon, 02 Dec 2019 11:08 PM (IST)
सालभर बीता, हिसा के पीड़ितों के अभी भी हरे हैं जख्म
सालभर बीता, हिसा के पीड़ितों के अभी भी हरे हैं जख्म

बुलंदशहर, जेएनएन। तीन दिसंबर 2018 के दिन को बुलंदशहर जिले के लोग शायद ही भूल पाए। इस दिन गोकशी को लेकर हुए बवाल में एक इंस्पेक्टर शहीद हो गए और एक युवक मारा गया। हिसा को एक साल बीत गया, लेकिन अभी भी दोनों ही परिवार संतुष्ट नहीं है और इंसाफ की गुहार लगा रहे हैं। इंस्पेक्टर की पत्नी रजनी ने सुप्रीम कोर्ट में बजरंग दल के संयोजक योगेश राज की जमानत खारिज कराने के लिए याचिका डाली है। वहीं, सुमित के पिता इंसाफ के लिए किसान दिवस से आमरण अनशन शुरू करने वाले हैं। हालांकि पुलिस ने इस हिसा को लेकर कठोर कार्रवाई की थी। यह हुई थी हिसा

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तीन दिसंबर 2018 को स्याना कोतवाली क्षेत्र के गांव महाव में गोवंश के अवशेष मिले थे। हिदू संगठन के लोगों ने अवशेष को एक ट्रैक्टर ट्राली में लेकर स्याना-बुलंदशहर हाईवे पर जाम लगा दिया था। उग्र भीड़ ने चिंगरावठी पुलिस चौकी में आग लगा दिया था। भीड़ को काबू करने पहुंचे तत्कालीन स्याना कोतवाल सुबोध कुमार को लोगों ने घेर लिया था। इसी बीच भीड़ में से किसी ने उन्हें गोली मार दी थी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी। वहीं, चिगरावठी निवासी सुमित की भी गोली लगने से मौत हो गई थी। सुमित को किसकी गोली लगी। यह जांच अभी भी चल रही है।

27 नामजद और 60 अज्ञात पर दर्ज हुआ था मुकदमा

स्याना कोतवाली में तैनात एसआइ सुभाष सिंह की तरफ से हिसा को लेकर बजरंग दज के संयोजक योगेश राज को मुख्य आरोपित बनाते हुए 27 लोगों को नामजद कराया गया था। जबकि 60 लोगों को अज्ञात दिखाया गया था। इस मुकदमे की जांच के लिए एसआइटी बनी जिसके नोडल अधिकारी मेरठ के तत्कालीन आइजी रामकुमार थे। एसआइटी ने मुकदमे में राजद्रोह की धारा बढ़ा दी थी। इस मुकदमे में हत्या, लूट, आगजनी करना, बलवा करना आदि धारा लगाई गई थी। इन्हीं धारा में कोर्ट में चार्जशीट भी दी गई थी।

44 को भेजा गया था जेल, 40 की हुई जमानत

इस मामले में 44 लोगों को पुलिस ने जेल भेजा था। इसमें 27 नामजद तो जेल गए साथ ही वीडियो से पहचान के बाद 60 अज्ञात में से 17 अन्य लोगों को भी जेल भेजा गया था। बाद में हाईकोर्ट से योगेश राज, जितेंद्र फौजी, शिखर अग्रवाल, उपेंद्र राघव और पवन समेत 40 लोगों की जमानत हो चुकी है।

अभी तक भी पिस्टल बरामद नहीं

हिसा में शहीद हुए इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की पर्सनल पिस्टल गायब हो गई थी। इस पिस्टल को पुलिस अभी भी बरामद नहीं कर सकी है। यह सुबोध कुमार की लाइसेंसी पिस्टल थी।

चार आरोपित अभी भी जेल में बंद

प्रशांत नट, जॉनी, लोकेंद्र निवासी चिगरावठी और राहुल निवासी हरवानपुर पर चार्जशीट में इंस्पेक्टर सुबोध की हत्या का आरोप लगाया गया था। बाकी सभी आरोपितों पर लूट, बलवा, आगजनी आदि धारा लगाई गई थी। इसलिए हत्या की धारा में अभी भी चारों आरोपित जेल में बंद है।

गोकशी करने वालों पर लगी थी रासुका

गोकशी मामले में योगेश राज की तरफ सेनयाबांस निवासी महबूब, गुलफाम, काले, अजहर, रहीस, युनूस, शाहिद, इमरान व हारून सहित दस आरोपितों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया गया था। इसमें से एसआइटी ने आठ आरोपितों पर रासुका लगाई थी। एक आरोपित महबूब को सुप्रीम कोर्ट से रासुका में जमानत मिल गई थी। जबकि बाकी सभी आरोपित अभी भी जेल में है।

अभी भी इंसाफ के इंतजार में हूं: अमरजीत सिंह

स्याना हिसा में चिगरावठी निवासी अमरजीत सिंह ने अपने बेटे सुमित की मौत के बाद अज्ञात के खिलाफ स्याना कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था। अमरजीत सिंह का कहना है कि इस मुकदमे में अभी तक पुलिस ने कोई गिरफ्तारी नहीं की है। इस मुकदमे की जांच सीबीआइ से कराना चाहते हैं। इस सिलसिले में वह 19 दिसंबर 2018 को मुख्यमंत्री से भी मिले थे। अब वह 23 दिसंबर किसान दिवस के दिन से आमरण अनशन शुरू करेंगे। वह बेटे सुमित को शहीद का दर्जा दिलाने व मुआवजे की भी मांग कर रहे हैं।


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