मंदिरों से लेकर घरों में हुई मां कात्यायनी की आराधाना
शारदीय नवरात्र के छठे छठे दिन गुरुवार को मां दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी देवी की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की गई। श्रद्धालुओं ने घरों में पूजा-अर्चना करने के बाद मंदिरों में पहुंचकर दर्शन किए।
बुलंदशहर, जेएनएन। शारदीय नवरात्र के छठे छठे दिन गुरुवार को मां दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी देवी की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की गई। श्रद्धालुओं ने घरों में पूजा-अर्चना करने के बाद मंदिरों में पहुंचकर दर्शन किए।
नगर के देवीपुरा स्थित काली सिद्ध पीठ तथा अन्य मंदिरों पर दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ रही। मान्यता है कि महर्षि के पुत्र ऋषि कात्य ने भगवती पराम्बा की उपासना कर उनसे घर में पुत्री के रूप में जन्म लेने की प्रार्थना की थी। मां भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली थी। इन्हीं कात्य गोत्र में विश्व प्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। कुछ समय बाद दानव महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बहुत बढ़ गया, तब भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज का अंश देकर एक देवी को उत्पन्न किया। महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की। इसी कारण से यह कात्यायनी कहलाई। मान्यता है कि कात्यायनी माता की विधिवत पूजा करने से सभी भौतिक व अध्यात्मिक मनोकामना की पूर्ति होती है। शिक्षा के क्षेत्र में रुचि रखने वाले लोगों को पूजा करना चाहिए।