विश्व धरोहर सप्ताह: महाभारत का इतिहास समेटे हुए हैं मां अवंतिका देवी का मंदिर
कस्बा अहार के गंगा किनारे स्थित मां अवंतिका देवी का मंदिर महाभारत कालीन गाथाओं की पहचान बना हुआ है। यहां श्रीकृष्ण की अद्र्धागिनी बनी रुकमणि ने यहीं पर पूजन किया था। बाद में श्रीकृष्ण ने रुकमणि का हरण कर यहीं पर विवाह भी किया था।
बुलंदशहर, जेएनएन। कस्बा अहार के गंगा किनारे स्थित मां अवंतिका देवी का मंदिर महाभारत कालीन गाथाओं की पहचान बना हुआ है। यहां श्रीकृष्ण की अद्र्धागिनी बनी रुकमणि ने यहीं पर पूजन किया था। बाद में श्रीकृष्ण ने रुकमणि का हरण कर यहीं पर विवाह भी किया था। इसके अलावा भी इस मंदिर को लेकर तमाम कहानियां और किवदंतियां हैं। हर वर्ष बड़ी संख्या में लोग यहां देश-विदेश से दर्शनों के लिए पहुंचते हैं।
जनपद मुख्यालय से 45 किलो मीटर की दूरी पर गंगा किनारे अहार क्षेत्र प्राचीन धार्मिक स्थलों की स्थली के नाम से पहचाना जाता है। यहां मां अवंतिका देवी की आस्था और श्रद्वा आसपास के राज्यों में रहने वाले भक्तों के साथ साथ देश विदेश तक में विख्यात है। किवदंती है कि महाभारत काल में अहार कुंदनपुर शहर नाम से राज्य था। जिसके राजा रूकम सिंह थे। उनकी पुत्री रुकमणि हर दिन सुरंग के रास्ते मां अवंतिका देवी मंदिर पहुंचकर गंगा में बने रुकमणि कुंड में स्नान करके मां की पूजा अर्चना करती थी। रुकमणि ने मां अवंतिका देवी से भगवान श्रीकृष्ण को वर के रूप में पाने की मन्नत मांगी थी। लेकिन राजा रूकम ने रुकमणि की शादी शिशुपाल से तय कर दी थी। हालांकि बाद श्रीकृष्ण ने रुकमणि का हरण कर अपनी जीवन संगनी बनाया था। वर्ष में दो बार लगाता मेला
मां अवंतिका मंदिर पर वर्ष में क्वार और चैत की नवरात्रि के अवसर पर दो बार भारी मेले का आयोजन किया जाता है और उसमें दूर दराज से आने वाले मां के भक्त गंगा स्नान कर मां के चरणों में शीश झुकाते हैं और मन की मुराद पाते हैं।