लॉकडाउन में महिलाएं हुई अधिक बीमार
लंबे चले लॉकडाउन में सबसे अधिक बीमार महिलाएं हुई हैं। इसमें अधिकांश महिलाएं बैचेनी और घबराहट की शिकार हुई हैं। अनलॉक होने के बाद से काउंसिलिग के लिए पहुंच रही महिलाओं में संक्रमण का तनाव पौष्टिक आहार नहीं लेने और दिनचर्या अनियमित होने के कारण सामने आए हैं।
- कोरोना संकट में गर्भवती महिलाओं में बढ़ी बैचेनी और घबराहट
बुलंदशहर, जेएनएन। लंबे चले लॉकडाउन में सबसे अधिक बीमार महिलाएं हुई हैं। इसमें अधिकांश महिलाएं बैचेनी और घबराहट की शिकार हुई हैं। अनलॉक होने के बाद से काउंसिलिग के लिए पहुंच रही महिलाओं में संक्रमण का तनाव, पौष्टिक आहार नहीं लेने और दिनचर्या अनियमित होने के कारण सामने आए हैं।
अनलॉक होने के बाद कोरोना के डर के चलते करीब एक सप्ताह बाद महिलाएं डरते-डरते घर से निकलीं। जिला अस्पताल से लेकर निजी अस्पताल तक पहुंच रही महिलाएं चिकित्सकों को अपनी समस्याएं बता रही हैं। अनलॉक के बाद लोग घरों से बाहर निकले हैं। ऐसे में संक्रमण का सबसे अधिक खतरा गर्भवती महिलाओं को है। जिला महिला अस्पताल की चिकित्सक डा. सुधा शर्मा ने बताया कि इमरजेंसी ओपीडी में आने वाली गर्भवती महिलाओं की काउंसलिग कर रहे हैं। इसके साथ ही टेलीमेडिसिन से भी कोरोना काल में महिलाओं ने चिकित्सकीय सलाह ली थी। टेलीमेडिसिन और काउंसलिग के दौरान सामने आया कि बीमार महिलाएं और चिकित्सीय सलाह लेने वाली महिलाओं में 60 फीसद से अधिक महिलाएं बैचेनी और घबराहट की शिकार हैं। इसकी मुख्य वजह गर्मी का अधिक होना, शरीर में पानी की कमी और पौष्टिक आहार के कम सेवन से दिक्कत बढ़ी है। ऐसे में महिलाएं, दाल, टमाटर, पनीर और फल खाना चाहिए ताकि शरीर में अच्छी मात्रा में प्रोटीन पहुंच सके। साथ ही दिनचर्या में भी बदलाव करना चाहिए। गर्भस्थ शिशु के लिए ज्यादा खतरा
-कोरोना काल में सामान्य महिला के मुकाबले गर्भवती के संक्रमित होने का खतरा ज्यादा रहता है, क्योंकि गर्भवती महिला की रोग प्रतिरोधक क्षमता हार्मोनल बदलाव के कारण कमजोर हो जाती है। गर्भवती महिला के संक्रमित होने से उसके शिशु का वजन कम हो सकता है। समय से पहले प्रसव का भी खतरा रहता है। इन्होंने कहा
अब तक की केस स्टडी से पता चलता है कि गर्भधारण के 28वें सप्ताह यानि थर्ड स्टेज में संक्रमण का खतरा अधिक होता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को खास सावधानी बरतनी चाहिए।
-डा. सरिता तेवतिया, महिला रोग विशेषज्ञ