सड़कों पर संभलकर चलें, जगह-जगह सांड व गाय खड़े
सड़कों पर संभलकर चलें जगह-जगह सांड व गाय खड़े बुलंदशहर जेएनएन। योगी सरकार ने भले ही सड़कों पर भूखे प्यासे भटकने वाले बेसहारा पशुओं के लिए गौ आश्रय स्थल बनवा दिए हों लेकिन यहां शहर की सड़कों पर अभी भी सांड और गायों का ही कब्जा है। इससे आए दिन सड़कों पर वाहन चालक भी घायल हो रहे हैं। आए दिन लोग शिकायतें भी करते हैं। लेकिन देखने वाला नहीं है।
बुलंदशहर, जेएनएन। योगी सरकार ने भले ही सड़कों पर भूखे, प्यासे भटकने वाले बेसहारा पशुओं के लिए गौ आश्रय स्थल बनवा दिए हों, लेकिन यहां शहर की सड़कों पर अभी भी सांड और गायों का ही कब्जा है। इससे आए दिन सड़कों पर वाहन चालक भी घायल हो रहे हैं। आए दिन लोग शिकायतें भी करते हैं। लेकिन देखने वाला नहीं है।
जनवरी माह में मुख्यंत्री योगी के आदेश पर जिलेभर 174 गो आश्रय स्थल बनाए गए। जिन पर दो करोड़ से अधिक की धनराशि भी खर्च की गई। इनमें 17 गौशाला नगरीय क्षेत्र में और देहात क्षेत्र में 157 गौशालाएं बनाई गई। इनमें करीब 7750 गाय व गोवंशों को सड़कों से पकड़कर शिफ्ट किया गया। लेकिन शहर से देहात तक अभी भी दो हजार से अधिक गाय व गोवंश सड़कों पर ही भूखे प्यासे भटक रहे हैं। गौशालाओं का संचालन हुए धीरे-धीरे नौ माह का समय बीत चुका है। लेकिन इनमें गाय व गोवंशों के लिए अब तक चारा, आटा, गुड व खल आदि की व्यापक व्यवस्था नहीं है। सरकार से आने वाले 30 रुपये प्रतिदिन के खर्चे में गाय का पेट भरपाना मुश्किल है। सरकारी कवायद नाकाफी होने के कारण ही गाय व गोवंश अभी भी सड़कों पर भटक रहे हैं और दुर्घटना का सबब बन रहे हैं। तीस रुपये में कैसे भरे गाय का पेट
उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग गो आश्रय स्थलों के लिए प्रति गाय 30 रुपये प्रतिदिन निर्धारित किया है। इतने कम पैसे में गाय का पेट नहीं भर सकता। क्योंकि बाजार में भूसे का भाव 800 रुपये प्रति कुंतल, हरा चारा भी 280 रुपये कुंतल, खल की 60 किलो की बोरी रेट 1420 रुपये में मिल रही है। गुड़ का भाव 40 और आटा का भाव 20 किलो है। गांवों में दौड़ाए जा रहे गोवंश
-मोटा धन खर्च होने और अफसरों की भाग-दौड़ के बाद भी जिले दो हजार से अधिक बेसहारा गाय व गोवंश भटक रहे हैं। गांवों में इन गाय व गोवंशों को किसान अपने गांव से दूसरे गांव में खदेड़ देते हैं।
फसलों भी उजाड़ रहे
-खुले में घूम रहे पशु अभी भी देहात क्षेत्र में किसानों की फसलों को उजाड़ रहे हैं। इससे किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचता है। इसलिए देहात में किसान फसलों की रखवाली के लिए रात-दिन जंगलों में पड़े रहते हैं।
इन्होंने.
बेसहारा पशु सभी पकड़े थे, लेकिन बाद में लोगों ने दूध न देने वाली गाय व बछड़ों को सड़कों पर छोड़ दिया। इससे संख्या बढ़ गई। गोशाला में सभी व्यवस्था ठीक है।
-डा. पंकज सिंह-ईओ