इन्होंने बेसहारा गोवंश गोद लिए हैं.. आप भी पहल कीजिए
बेसहारा गोवंश को सहारा देने के सरकारी प्रयासों के बीच सिकंदरबाद क्षेत्र के गो सेवकों ने नई नजीर पेश की है।
बुलंदशहर : बेसहारा गोवंश को सहारा देने के सरकारी प्रयासों के बीच सिकंदरबाद क्षेत्र के गो सेवकों ने नई नजीर पेश की है। अपनी तरह का यह अनूठा प्रयास है गोवंश को गोद लेने का। इन गो सेवकों में प्रोफेसर, इंजीनियर और व्यवसाइयों से लेकर इसी तरह के अन्य पढ़े-लिखे लोग शामिल हैं। फिलहाल, बुटेना गांव के इस आश्रय स्थल में 60 गोवंश की देखरेख हो रही है। संवर्धन की यही पहल अन्य लोग भी करें तो गोवंश की दशा सुधरने के साथ समाज को भी नई दिशा मिलेगी।
ऐसे हुई पहल
सिकंदराबाद निवासी समाजसेवी चौधरी मंगल सेन, एमएमएच कॉलेज, गाजियाबाद में लॉ की प्रोफेसर शिवांगी कौशिक, सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर रामपाल ¨सह, प्रवीन आर्य और व्यवसायी र¨वद्र ¨सह ने गांव बुटेना के प्रधान लोकेंद्र उर्फ गुड्डू के सहयोग से करीब डेढ़ माह पहले गांव में गोशाला का निर्माण कराया। करीब चार बीघा जमीन पर टीन शेड डालकर गोवंश के रहने की व्यवस्था की गई। इसके बाद बेसहारा घूमने वाले गोवंश को पकड़कर यहां लाया गया। इस समय गोशाला में करीब 60 गोवंश हैं। गो सेवकों ने निजी प्रयास से इनके चारा आदि की व्यवस्था कर रखी है। पानी के लिए ट्यूबवेल भी लगवाया।
तैयार की गोसेवकों की टीम
इसके साथ-साथ गो सेवकों ने ग्रामीणों को प्रेरित कर गो सेवकों की एक टीम भी तैयार कर दी। यह टीम क्षेत्र में घूमने वाले बेसहारा गोवंश को पकड़कर गोशाला में लाती है। मुख्य गो सेवक भी नियमित रूप से गोशाला पहुंचकर व्यवस्था में हाथ बंटाते हैं। सेवा से मिलती है शांति
गोवंश की सेवा में जुटे ग्रामीण गोसवकों को सुबह-शाम के समय इन गायों का दूध दिया जाता है। हालांकि, अभी दुधारू गायों की संख्या कम है, लेकिन गोसेवक इस दूध को प्रसाद के रूप में पाकर खुद को धन्य महसूस करते हैं। गो सेवकों के अनुसार, सड़कों पर घूमते गोवंश को देखकर मन में पीड़ा होती थी। अब मौका मिला है तो इनकी सेवा कर रहे हैं। इस सेवा से उनके मन को शांति मिलती है। गोवंश संरक्षण की पूर्ण जिम्मेदारी प्रशासन और निकायों की है। अभी तक गांवों में चार और नगर में डेढ़ हजार से अधिक गोवंशों की देखभाल की जा रही है। गोवंश की सेवा के लिए लोगों का आगे आने अच्छी बात है। इसके अलावा गोशाला खोलने के लिए सरकारी अनुदान भी प्रदान किया जाता है। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
ईशा दुहन, सीडीओ