कोल्हुओं की चिमनी का धुआं हवा को कर रहा 'बीमार'
बीते एक माह से जिले की हवा में प्रदूषण ने लोगों की हालत खराब कर रही है। बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी तमाम इकाइयों को नोटिस जारी कर रहे हैं लेकिन कोल्हुओं की तरफ जिम्मेदार अफसरों का ध्यान नहीं है। नतीजन कोल्हुओं की चिमनियां लगातार काला धुआं उगल रही हैं।
जेएनएन, बुलंदशहर। बीते एक माह से जिले की हवा में प्रदूषण ने लोगों की हालत खराब कर रही है। बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी तमाम इकाइयों को नोटिस जारी कर रहे हैं लेकिन कोल्हुओं की तरफ जिम्मेदार अफसरों का ध्यान नहीं है। नतीजन कोल्हुओं की चिमनियां लगातार काला धुआं उगल रही हैं।
जिले में संचालक 437 गन्ना कोल्हुओं पर प्लास्टिक की कतरन के साथ ही पुराने टायर जलाकर भी गुड़ पकाया जाता है। लकड़ी और गन्ने की खोई को भी ईंधन के रूप में कोल्हू संचालक इस्तेमाल करते हैं। रबर और टायर जलने से हवा में कार्बन की मात्रा बढ़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि जिले का प्रदूषण इस कदर बढ़ा है कि एक्यूआइ 450 के पार तक पहुंचा है। अब पिछले दो दिन से एक्यूआइ गिरा है लेकिन जिला अभी भी रेड जोन में शामिल है। नतीजन अस्थमा और सांस के मरीजों के साथ ही बुजुर्गों की भी सांस फूल रही है। कोल्हू के ठेकेदार और मालिक अपनी कमाई के चक्कर में दूसरों की जान से खेल रहे हैं। रबर जलाने के बाद बचने वाली खोई को पेपर मिलों को बेच दिया जाता है। खोई पेपर मिलों में करीब 120 रुपये कुंतल के भाव से बिक जाती है, जबकि कूड़ा उन्हें कबाड़ियों से सस्ते दामों पर मिलता है। जिला अस्पताल के फिजीशियन डा. चंद्रप्रकाश का कहना है कि टायर या रबर जलने के बाद निकलने वाला धुआं स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जेई और एई का कहना है कि अभी तक कोल्हुओं के खिलाफ कोई शिकायत नहीं आई है। -इन्होंने कहा
जिले में कोल्हू की अभी तक ऐसी शिकायतें नहीं आई हैं फिर भी इसकी जांच करवाई जाएगी। यदि टायर और कूड़ा जलाते हुए पकड़े गए तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। प्रदूषण करने वालों पर कार्रवाई तय है।
- आशुतोष चौहान, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड