स्वामी दयानंद ने छोटी काशी में जगाई थी शिक्षा की अलख
महर्षि दयानंद सरस्वती ने छोटी काशी में दो वर्ष तक रहकर अज्ञानता से ज्ञान की ओर ले जाने के लिए काफी प्रयास किया था।
संसू, अनूपशहर : महर्षि दयानंद सरस्वती ने छोटी काशी में दो वर्ष तक रहकर अज्ञानता से ज्ञान की ओर ले जाने के लिए काफी प्रयास किया था। यहीं पर 1867 में स्वामी जी को विष देकर मारने का प्रयास भी किया गया था। उन्हीं के प्रेरणा के चलते नगर में अनेक शिक्षा संस्थान खोले गये थे।
स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म 12 फरवरी 1824 को गुजरात के टंकारा में हुआ था। आमजन को अज्ञानता से ज्ञान की ओर ले जाने के लिए पूरे भारत वर्ष में घूमकर लोगों को शिक्षा के माध्यम से प्रगति करने का संदेश दिया। वे छोटी काशी में सात बार आये, प्रथम बार अपने गुरु विरजानंद की अस्थियों को विसर्जित करने, दूसरी बार शास्त्रार्थ करने, और कई बार लोगों को प्रेरणा देने, अंतिम बार लगातार दो वर्ष तक रहकर धर्म के प्रति आस्था रखने के साथ पाखंड से दूर रहने का उपदेश दिया था। जिसके कारण कुछ लोगों की रोजी रोटी पर बुरा प्रभाव पड़ा। जिससे कुपित होकर एक व्यक्ति ने स्वामी जी को खाने में मिलाकर विष देकर मारने का असफल प्रयास किया। स्वामी जी ने योग क्रिया (न्यौली) के माध्यम से विष को निष्प्रभावी कर दिया। तत्कालीन तहसीलदार सैयद अहमद खां ने विष देने वाले व्यक्ति को पकड़वाकर दंड देने के लिए स्वामी जी को ही अधिकृत कर दिया। स्वामी जी ने उस व्यक्ति को माफ कर देने के साथ छोड़ देने का अनुरोध किया। इस बात से सभी लोग हतप्रद हो गये, तो स्वामी जी ने कहा कि यह व्यक्ति दुष्ट है जब इसने अपना कर्म (दुष्टता)नही छोड़ा, तो फिर मैं संत होकर अपना सज्जनता का कर्म क्यों छोड़ दूं।
स्वामी दयानंद जी की प्रेरणा से अनूपशहर में समाजसेवी लाला लक्ष्मण प्रसाद ने लक्ष्मण प्रसाद दयानंद ऐंग्लो वैदिक इंटर कालेज, राम स्वरूप कायस्थ ने राम स्वरूप आर्य कन्या इंटर कालेज, लाला गोविन्द राम ने जीडीएवी कन्या इंटर कालेज की स्थापना की। जिसके परिणाम स्वरूप आज अनूपशहर में महाविद्यालय के बाद जयप्रकाश गौड़ ने जेपी विश्वविद्यालय की स्थापना कर स्वामी जी के सपनों को साकार किया है।