सद्कर्म सिखाती है श्रीमद् भागवत कथा: मृदुल
खुर्जा के मंदिर मार्ग पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन वृंदावन धाम से पधारे आचार्य मृदुल कृष्ण गोस्वामी ने धुंधकारी की कथा को विस्तर से सुनाया। इसके अलावा उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा सद्कर्म सिखाती है। सभी कष्टों को दूर करती हैं। उधर कथा सुनने के लिए श्रद्धालु उमड़े रहे।
बुलंदशहर, जेएनएन। खुर्जा के मंदिर मार्ग पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन वृंदावन धाम से पधारे आचार्य मृदुल कृष्ण गोस्वामी ने धुंधकारी की कथा को विस्तर से सुनाया। इसके अलावा उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा सद्कर्म सिखाती है। सभी कष्टों को दूर करती हैं। उधर कथा सुनने के लिए श्रद्धालु उमड़े रहे।
श्रीनवदुर्गा शक्ति मंदिर की 25वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में रजत जयंती समारोह में श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन मंगलवार को कथा सुनाते हुए वृदावंन से आए आचार्य मृदुल कृष्ण ने कहा कि आत्मदेव जो एक वेद पाठी ब्राह्मण थे। उनके यहां कोई पुत्र नहीं था। वह ग्लानि से भरे हुए एक दिन जंगल में जा पहुंचे। जहां उनकी साधु से मुलाकात हुई, तो साधु ने उन्हें फल दिया। जिससे उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई। इसका शरीर मनुष्य का था, लेकिन कान गाय के थे और उसका नाम गोकर्ण रखा गया। वहीं दूसरी तरफ धुंधली के पुत्र का नाम धुंधकारी रखा गया। साधु के आशीर्वाद से जो पुत्र हुआ वह ज्ञानी धर्मात्मा हुआ और धुंधकारी दुराचारी, व्यभिचारी, मदिराचारी और दुरात्मा निकला, जिसकी वेश्याओं ने हत्या कर दी। जिसके बाद वह प्रेत बन गया। जिसकी मुक्ति के लिए गोकर्ण महाराज ने भागवत कथा सुनाई। भागवत कथा सुनकर धुंधकारी प्रेत योनि से मुक्ति होकर मोक्ष को प्राप्त हो गया। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से पापी से भी पापी प्राणी को मुक्ति मिल जाती है। इस दौरान डा. मोहनलाल, अजीत मित्तल, डा. भूदत्त शर्मा, सुनील गुप्ता, दीपक गोविल, गोपाल सर्राफ, अनिल कुमार, रोहित सिघल, अमित, भूपेंद्र चौधरी, दिनेश शर्मा आदि रहे।