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22 रिकार्डिग व 50 लाख के खेल में छिपा अलीम की मौत का राज

बसपा के बहुचर्चित पूर्व विधायक हाजी अलीम की मौत को एक साल हो गया है लेकिन अभी तक पुलिस और सीबीसीआइडी केस की तह तक नहीं पहुंची है। सूत्रों का कहना है कि सीबीसीआइडी ने मोबाइल पर हुई बातचीत की 22 रिकार्डिग जुटाई है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Oct 2019 11:10 PM (IST)Updated: Mon, 14 Oct 2019 06:02 AM (IST)
22 रिकार्डिग व 50 लाख के खेल में छिपा अलीम की मौत का राज
22 रिकार्डिग व 50 लाख के खेल में छिपा अलीम की मौत का राज

बुलंदशहर, जेएनएन। बसपा के बहुचर्चित पूर्व विधायक हाजी अलीम की मौत को एक साल हो गया है, लेकिन अभी तक पुलिस और सीबीसीआइडी केस की तह तक नहीं पहुंची है। सूत्रों का कहना है कि सीबीसीआइडी ने मोबाइल पर हुई बातचीत की 22 रिकार्डिग जुटाई है। वहीं, एक और महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया है। एक संदिग्ध ने पूर्व विधायक की मौत से तीन दिन पहले 40 लाख रुपये अपने एक दोस्त के घर रखे थे। यह संदिग्ध हाजी अलीम के काफी नजदीक था। अब सवाल उठ रहा है कि उसके पास यह रकम कहां से आई। अंदेशा है कि इन दो तथ्यों को लेकर सीबीसीआइडी जल्द ही इस केस का राजफाश करेगी।

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10 अक्टूबर 2018 को पूर्व विधायक की संदिग्ध परिस्थितियों में गोली लगने से मौत हो गई थी। इस मामले में सिटी कोतवाली में पूर्व विधायक के भाई हाजी युनूस ने अज्ञात में हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने मामले को आत्महत्या का बताकर फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। इसके बाद हाजी अलीम के भाई हाजी युनूस ने मामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग उच्चाधिकारियों से की थी। सीबीआइ तो नहीं, लेकिन जांच सीबीसीआइडी मेरठ को चली गई। वर्तमान में इस केस की जांच इंस्पेक्टर सुशील त्यागी कर रहे हैं। अब तक वह 25 से अधिक लोगों के बयान दर्ज कर चुके हैं। मुकदमा दर्ज कराने वाले हाजी युनूस को इस वारदात के बाद 22 रिकार्डिग हाथ लगी। इनमें एक संदिग्ध दूसरे संदिग्ध से बात कर रहा है। ये दोनों संदिग्ध हाजी अलीम के काफी नजदीक थे। ये दोनों वर्तमान में इधर-उधर रह रहे हैं। हालांकि पुलिस भी इन सभी से पूछताछ कर चुकी है।

जिससे रकम आई, उसका नाम भी एजेंसी के सामने आया

हाजी युनूस का कहना है कि जिस संदिग्ध के पास वारदात से दो दिन पहले 40 लाख रुपये आए थे। यह जानकारी पुलिस को दी थी। दूसरे संदिग्ध के पास 10 लाख पहुंचे। यह भी बताया गया था, लेकिन पुलिस ने खेल करके इस मामले को रफादफा कर दिया। अब सीबीसीआडी को भी इन दोनों तथ्यों के बारे में जानकारी दे दी गई है। रिकार्डिग में भी रुपये की बात साफ सामने आ रही है। एजेंसी को यह भी बता दिया गया है कि रकम कहां से आई और कब आई।

कहीं तिहाड़ जेल में तो नहीं रची गई हत्या की साजिश

इस पूरे प्रकरण में जांच एजेंसी के सामने एक और बात आई है। इस हत्या की साजिश तिहाड़ जेल में रची गई थी। हालांकि एजेंसी के पास अभी पुख्ता सुबूत नहीं है। मृतक पूर्व विधायक के भाई हाजी युनूस को भी शक है कि तिहाड़ में ही पूरी प्लानिग की गई।

इनका कहना है..

मेरे भाई ने सुसाइड नहीं किया है। उनकी हत्या की गई है। सुसाइड करने वाला एक गोली चलाता है, दो नहीं। मौके पर दो गोली चली हैं। यह पुलिस की जांच में भी साफ हो गया है। कसूरवार को सजा मिलनी ही चाहिए।

-हाजी युनूस, सदर ब्लॉक प्रमुख और पूर्व विधायक के भाई।


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