बेटी की सफलता को 20 साल रख रहीं छठ व्रत
लोक आस्था का महापर्व छठ सिर्फ पुत्र की सुख समृद्धि और सफलता के लिए ही नहीं अपितु पुत्रियों के लिए भी किया जाता है। छठ महापर्व पर बेटे और बेटियों के भेदभाव के मिथक को तोड़ नारी सशक्तीकरण को बल प्रदान करता है। अरुणिमा श्रीवास्तव बेटी की दीर्घायु और सफलता के 20 साल से व्रत रख भगवान सूर्य देव की उपासना कर छठ का व्रत रख रहीं हैं।
जेएनएन, बुलंदशहर : लोक आस्था का महापर्व छठ सिर्फ पुत्र की सुख, समृद्धि और सफलता के लिए ही नहीं अपितु पुत्रियों के लिए भी किया जाता है। छठ महापर्व पर बेटे और बेटियों के भेदभाव के मिथक को तोड़ नारी सशक्तीकरण को बल प्रदान करता है। अरुणिमा श्रीवास्तव बेटी की दीर्घायु और सफलता के 20 साल से व्रत रख भगवान सूर्य देव की उपासना कर छठ का व्रत रख रहीं हैं।
नगर की यमुनापुरम कालोनी निवासी बिहार मूल की रहने वाली अरुणिमा श्रीवास्तव बताती हैं कि दीपाली उनकी इकलौती बेटी है। कुछ लोग पुत्र कामना उसकी दीर्घायु और सफलता के लिए छठी मइया का व्रत रखते हैं लेकिन वह पिछले बीस साल बेटी की दीर्घायु और उसकी सफलता के लिए छठ व्रत रख रही हैं। बीस साल पहले उन्होंने मन्नत मांगी थी कि बेटी दीर्घायु हो और वह डाक्टर बन जाए। छठी मैया ने मेरी मनोकामना सुनी ली और एमबीबीएस में बेटी का नंबर आ गया। छठी मैया के आशीर्वाद से बेटी की एमबीबीएस की पढ़ाई भी पूरी हो गई और वह अब इंटर्नशीप कर रही है। वहीं छठी मैया के आशीर्वाद से उनका बेटा भी मणिपुर में इंजीनियरिग कर रहा है। हालांकि उनके परिवार में छठ महापर्व पीढ़ी दर पीढ़ी से मनाता चला आ रहा है। छठी मैया की कृपा से बेटी औ बेटा लगातार सफलता के पायदान छू रहे हैं। वहीं पूरा परिवार रोग मुक्त होकर खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहा है। अरुणिमा बताती हैं कि छठ महापर्व पर छठी का व्रत रखते हुए 20 साल कैसे बीत गए पता ही नहीं चल पाया।