पर्यावरण के असली 'पथिक' हैं राजेंद्र
कल को बेहतर बनाने के लिए आज के पर्यावरण को संरक्षित करना बेहद जरूरी है। ऐसा करने से पर्यावरण संरक्षण के साथ ही भावी पीढ़ी भी संरक्षित होगी। यही सोचकर पर्यावरण
बुलंदशहर, जेएनएन। कल को बेहतर बनाने के लिए आज के पर्यावरण को संरक्षित करना बेहद जरूरी है। ऐसा करने से पर्यावरण संरक्षण के साथ ही भावी पीढ़ी भी संरक्षित होगी। यही सोचकर पर्यावरण का असली पथिक बन चुके हैं शहर के प्रेमनगर कालोनी निवासी राजेंद्र पथिक। वह न केवल कॉलेजों में जाकर विद्यार्थियों को पौधारोपण के साथ ही पर्यावरण के प्रति जागरूक कर रहे हैं वहीं उन्होंने जनपद के विभिन्न हिस्सों में लाखों पौधे लगा दिए हैं।
राजेंद्र पथिक इस समय 76 वर्ष के हो चुके हैं और वह वन विभाग से डीएफओ पद से सेवानिवृत्त हैं। उन्होंने बताया कि वन विभाग में होने के कारण पर्यावरण के प्रति रूझान होना स्वभाविक है। पर्यावरण के प्रति प्रेम सेवानिवृत्त के बाद और बढ़ गया। पर्यावरण के प्रति अपनी लगन को उन्होंने जारी रखा है। 18 साल पहले सेवानिवृत्त होने के बाद से ही वह लगातार पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं। बुलंदशहर के अलावा, हापुड़, मेरठ, गाजियाबाद, अलीगढ़ व मुजफ्फरनगर समेत कई कालेजों में जाकर प्रार्थना सभा में विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण की जानकारी देते हैं। गांवों में करते हैं जनजागरण
पौधारोपण जैसे कार्यक्रम या अभियान को ग्रामीण स्तर पर विशेष रूप से सफल किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि ग्रामीण जनता को इस बारे में जागरूक किया जाए। यही सोचते हुए राजेंद्र पथिक ने गांवों में ग्रामीणों की सभा करके उन्हें जागरूक कर रहे हैं। जनपद में करीब 35 गांवों में सभा करके लोगों को पर्यावरण के बारे में जागरूक कर चुके हैं। उनका यह अभियान अभी तक जारी है। पंफलेट प्रकाशित कराकर भी लोगों को जानकारी दे रहे हैं। पेंशन खर्च कर कराते हैं पौधारोपण
राजेंद्र पथिक ने बताया कि सरकार तो हर साल ही करोड़ों रुपये खर्च करके पौधारोपण कराती है, जबकि वह अपने अभियान के लिए स्वयं की पेंशन से मिली धनराशि खर्च करते हैं। बुलंदशहर, गुलावठी, स्याना, खुर्जा व सिकंदराबाद आदि ब्लाक के गांवों में करीब एक लाख पौधे लगवा चुके हैं। पौधारोपण में अन्य लोगों की मदद तो मिल जाती है, लेकिन आर्थिक सहयोग नहीं मिलता है। पॉलीथिन के खिलाफ भी जंग जारी
पर्यावरण के पथिक राजेंद्र का कहना है कि केवल पौधे लगाकर ही पर्यावरण को संरक्षित नहीं किया जा सकता है। इसके लिए यह भी जरूरी है कि पर्यावरण के लिए नुकसानदायक वस्तुओं के इस्तेमाल पर भी रोक लगनी चाहिए। इसमें सबसे पहले पॉलीथिन का इस्तेमाल पूरी तरह प्रतिबंध हो। वह इस क्षेत्र में भी काम कर रहे हैं। लोगों को पॉलीथिन से होने वाले नुकसान के बारे में लगातार जानकारी देते हैं।