कोरोना से डरे बिना लोगों की मदद करते रहे प्रशांत
कोरोना महामारी में लोग अपनों से भी मिलने से किनारा कर रहे थे लेकिन शहर के लक्ष्मीनगर निवासी समाजसेवी प्रशांत वाल्मीकि ने वायरस से डर को छोड़ दिया और लाकडाउन में लोगों की सेवा करने के लिए आगे आए।
जेएनएन, बुलंदशहर। कोरोना महामारी में लोग अपनों से भी मिलने से किनारा कर रहे थे लेकिन शहर के लक्ष्मीनगर निवासी समाजसेवी प्रशांत वाल्मीकि ने वायरस से डर को छोड़ दिया और लाकडाउन में लोगों की सेवा करने के लिए आगे आए। उनका कहना है कि पहले तो उन्हें डर लगा लेकिन बाद में उन्होंने लोगों की परेशानियों को देखते हुए सेवा का फैसला लिया।
लाकडाउन में लोग घर की चाहरदीवारी में कैद थे सड़कों पर पुलिस का पहरा था। ऐसे में बीमार होने वाले लोग परेशान थे। मरीज और तीमारदारों ने परिचितों को मदद के लिए फोन किए। इसके बाद मामला समाजसेवी प्रशांत वाल्मीकि के पास पहुंचा। प्रशांत ने बताया कि एक बार मन में आया कि देश और दुनिया में लोग वायरस से मर रहे हैं। ऐसे में घर से निकला ठीक नहीं है लेकिन फिर मन में आया कि लोगों की सेवा करते हुए मौत भी आई तो किसी शहादत से कम ना होगी। इसलिए लोगों की सेवा करने के लिए कूद पड़े। सबसे पहले थैलीसीमिया पीड़ित बच्ची को दिल्ली तक इलाज के लिए लेकर गए। कई मरीजों को लाकडाउन पीरियड में खून देकर जान बचाई। गरीब और जरूरतमंदों को राशन वितरण किया। शहर से देहात तक पांच हजार लोगों के घरों में राशन पहुंचाया। शहर में कई लोग अचानक से शुगर बढ़ने से परेशान थे। उनके घर वालों ने फोन किया तो उनको इलाज के लिए अस्पताल तक पहुंचाया। प्रसव पीड़ा से छटपटा रही प्रसूताओं को भी अपनी गाड़ी से डिलीवरी के लिए अस्पताल तक पहुंचाया। इन्होंने बताया कि महामारी काल में लोगों की ये सेवा जीवनभर याद रहेगी। बहुत सुकून मिला है।