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अंग्रेजों के जमाने के पुल से जान जोखिम में डालकर दौड़ रहे वाहन

जेएनएन बुलंदशहर जनपद में नहरों के बाद अब काली नदी पर बने ब्रिटिश काल के पुल भी अपनी मियाद पूरी कर चुके हैं। यह पुल भी 170 साल से अधिक समय पुराने हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Sep 2021 11:05 PM (IST)Updated: Wed, 22 Sep 2021 11:05 PM (IST)
अंग्रेजों के जमाने के पुल से जान जोखिम में डालकर दौड़ रहे वाहन
अंग्रेजों के जमाने के पुल से जान जोखिम में डालकर दौड़ रहे वाहन

जेएनएन, बुलंदशहर : जनपद में नहरों के बाद अब काली नदी पर बने ब्रिटिश काल के पुल भी अपनी मियाद पूरी कर चुके हैं। यह पुल भी 170 साल से अधिक समय पुराने हैं। मरम्मत के अभाव अब ये पुल जर्जर हो चुके हैं लेकिन सिचाई विभाग का इन पुलों की तरफ ध्यान नहीं जा रहा है। मियाद पूरी कर चुके इन पुलों से गुजरना किसी जोखिम से कम नहीं हैं।

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जनपद में काली नदी की 110 किलोमीटर लंबाई है। जनपद में काली नदी पर ब्रिटिश काल में तीन पुल अपनी मियाद पूरी कर चुके हैं। ब्रिटिश कालीन पुल सिचाई विभाग के लापरवाही के चलते जर्जर हो चुके हैं। विभाग ने इन जर्जर हो चुके पुलों की मरम्मत कराना जरूरी नहीं समझा है। काली नदी के पुल पर जर्जर होने के बाद भी इन पुलों से बड़ी संख्या में प्रतिदिन वाहन गुजरते हैं। गुलावठी के सैदपुर रोड और शहर के बीच से गुजर रही काली नदी पर ब्रिटिश हुकूमत ने 1850 में इन पुलों का निर्माण कराया था। शहर के बीचों-बीच स्थित काली नदी पुल की मियाद पूरी होने के बाद सुरक्षा के लिहाज से पुल के बराबर में नया पुल दिया। जिससे अब भारी वाहनों का संचालन इसी पुल से होता है। उधर गुलावठी में सैदपुर रोड पर बना पुल जर्जर हालत में हैं। बावजूद इसके विभाग ने पुलों की मरम्मत की ओर ध्यान नहीं दे रहा है। शायद विभाग कोई बड़ा हादसा होने का इंतजार कर रहा है। ..

गंगा नदी पर नहीं कोई ब्रिटिश कालीन पुल जनपद में गंगा नदी की 68 किलोमीटर लंबाई है। गंगा नदी पर ब्रिटिश कालीन पुल नहीं हैं। जिले में गंगानदी पर भगवानपुर, अनूपशहर व नरौरा में देश आजाद होने के काफी समय बाद पुल निर्माण हुआ है।

.. इन्होंने कहा..

जिले में काली नदी पर ब्रिटिश कालीन सिर्फ दो पुल है। एक पुल गुलावठी के सैदपुर रोड व दूसरा पुल शहर में हैं। हालांकि शहर के पुल से वाहनों का अधिक आवागमन होने के कारण एक नहीं बल्कि दो नए पुल बन चुके हैं। जिससे वाहनों का आवागमन होता है। - नवरतन सिंह, एसडीओ काली नदी


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