मानसिक बीमारी या ड्रामा.. साधुओं की हत्या साजिश तो नहीं
मंदिर में दो साधुओं की हत्या को लेकर गांव ही नहीं पूरे जिले में हड़कंप और तरह-तरह की चर्चाएं हैं। हर किसी के मन में एक ही सवाल उठ रहा है कि आखिर कैसे एक युवक ने डंडे से पीट-पीटकर दो साधुओं की हत्या कर दी। कहीं ऐसा तो नहीं कि इन हत्याओं के पीछे कोई गहरी साजिश हो। सच्चाई क्या है क्या नहीं। इसके पीछे पुलिस जाने की कोशिश तो कर रही है लेकिन नशेड़ी आरोपित खुद को मानसिक रूप से बीमार बता रहा है। पुलिस उससे कुछ खास उगलवा नहीं पा रही। आरोपित हत्या के मामले में पहले भी जेल जा चुका है।
बुलंदशहर, जेएनएन। मंदिर में दो साधुओं की हत्या को लेकर गांव ही नहीं, पूरे जिले में हड़कंप और तरह-तरह की चर्चाएं हैं। हर किसी के मन में एक ही सवाल उठ रहा है कि आखिर कैसे एक युवक ने डंडे से पीट-पीटकर दो साधुओं की हत्या कर दी। कहीं ऐसा तो नहीं कि इन हत्याओं के पीछे कोई गहरी साजिश हो। सच्चाई क्या है क्या नहीं। इसके पीछे पुलिस जाने की कोशिश तो कर रही है, लेकिन नशेड़ी आरोपित खुद को मानसिक रूप से बीमार बता रहा है। पुलिस उससे कुछ खास उगलवा नहीं पा रही। आरोपित हत्या के मामले में पहले भी जेल जा चुका है।
दरअसल, सोमवार रात हुई इस वारदात को गांव के राजू उर्फ मुरारी ने अंजाम दिया। राजू मंगलवार शाम तक नशे में धुत था। वह कुछ भी बताने से इन्कार करता रहा। कभी कहता है कि भगवान ने उसे कहा तो उसने मार दिया। कभी कहा कि उसे गांव वाले खाना नहीं दे रहे थे। वहीं, कभी पुलिस के सामने विवाद आ रहा है कि चिमटा चुरा लिया था इस कारण साधुओं ने आरोपित को डांट दिया था और उसके घर तक शिकायत की थी। इसकी वजह से वह रंजिश पाल बैठा था। इन सभी बातों में सच्चाई क्या है। यह तो अभी पता नहीं चली है लेकिन पुलिस इस एंगल पर भी जांच कर रही है कि कहीं राजू का किसी शरारती तत्व ने इस्तेमाल तो नहीं किया। पुलिस इस बिंदु पर भी जांच का दावा कर रही है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि किसी ने राजू उर्फ मुरारी को भांग का नशा कराया हो और उससे वारदात करा दी हो। इन तमाम बिंदुओं की पड़ताल के लिए एसएसपी संतोष कुमार सिंह ने जिले की स्वॉट टीम और क्राइम ब्रांच के कुछ अधिकारियों को लगाया है।
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एक दिन पहले सड़क पर लिखा, हत्या कर देनी चाहिए
एसएसपी संतोष कुमार सिंह ने बताया कि राजू ने रविवार को मंदिर के सामने वाली सड़क पर कोयले से लिखा कि इस गांव के कुछ लोगों की हत्या करने का मन करता है। सड़क पर यह लिखा और सोमवार शाम उसके हाथ में तलवार देख लोग घबराए जरूर लेकिन किसी ने न तो तलवार छीनने का प्रयास किया और न ही सड़क पर लिखे शब्दों को गंभीरता से लिया। अब लोग यह कहते जरूर सुने गए कि अगर सोमवार शाम किसी ने गंभीरता दिखाई होती तो शायद यह हत्याकांड टल जाता।