अनेक अकीदतमंदों ने बाग में गुजारी रात
मखमली बिस्तर में सोने वाले भी अल्लाह की शान में खुले आसमान के नीचे और बागों में रात गुजार रहे हैं।
बुलंदशहर : मखमली बिस्तर में सोने वाले भी अल्लाह की शान में खुले आसमान के नीचे और बागों में रात गुजार रहे हैं।
इज्तिमा की तारीख एक साल पहले ही तय हो गई थी। एक से तीन दिसंबर तक आयोजित इज्तिमा की तैयारी करीब ढाई माह से दरियापुर, अढोली और आसपास के अन्य गांवों में चल रही थी। इज्तिमा की शुरुआत से एक दिन पहले 30 नवंबर की शाम तक लाखों लोग यहां पहुंच चुके थे। एक दिसंबर की दोपहर होने तक प्रशासन के सभी आकलन टूट गए। नतीजन इज्तिमा में लगा पंडाल फुल हो गया। इसके बाद बहुत बड़ा एक पंडाल और बनाया गया। लेकिन वो फुल हुआ तो दरियापुर के आसपास खड़े आम के बागों में अकीदतमंदों को ठहराया गया। बाग फुल हुए तो अकीदतमंदों ने खुले आसमान के नीचे ही बिस्तर लगा दिए। दिसंबर की ठंडी रात खुले आसमान के नीचे उन्हें गुजारनी पड़ी। अकीदतमंदों का कहना है कि खुला आसमान हो या आम का बाग अल्लाह की शान में कहीं पर भी रात गुजारी जा सकती है। उनकी हिफाजत भी अल्लाह ही करता है।