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विश्व धरोहर सप्ताह : रामायाण-महाभारत की कथा का साक्षी है किशन तालाब मंदिर

सिकंदराबाद नगर में प्राचीन किशन तालाब मंदिर रामायण और महाभारत काल का साक्षी है। जहां तीनों लोक के विजेता रावण के वध के बाद उससे जीवित मान उसकी रानी मंदोदरी ने चार दिन तक तपस्या की थी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 07:05 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 07:05 PM (IST)
विश्व धरोहर सप्ताह : रामायाण-महाभारत की कथा का साक्षी है किशन तालाब मंदिर
विश्व धरोहर सप्ताह : रामायाण-महाभारत की कथा का साक्षी है किशन तालाब मंदिर

बुलंदशहर, जेएनएन। सिकंदराबाद नगर में प्राचीन किशन तालाब मंदिर रामायण और महाभारत काल का साक्षी है। जहां तीनों लोक के विजेता रावण के वध के बाद उससे जीवित मान उसकी रानी मंदोदरी ने चार दिन तक तपस्या की थी। वहीं महाभारत कालीन श्री कृष्ण दरबार का तालाब पर स्थित मंदिर मुख्य पहचान है। जहां दूर दराज से लोग दर्शन करने पहुंचते हैं।

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दिल्ली से साठ किमी दूर स्थित सिकंदराबाद नगर के मोहल्ला रामबाड़ा में स्थित प्राचीन किशन तालाब मंदिर रामायण कालीन है। करीब 93 बीघा भूमि बने मंदिर में महादेव की सफेद पत्थर से बनी पंचमुखी मूर्ति प्राचीन कालीन है। तालाब के बीचों बीच श्रीकृष्ण दरबार भी लोगों की आस्था का केन्द्र है। प्राचीन मंदिर से कई तरह की कहानियां और किवदंतियां जुड़ी है। धर्म के प्रतीक भगवान श्रीराम व तीन लोक का खुद को विजेता मान चुके लंकापति रावण के बीच युद्ध हुआ था। जिसमें श्रीराम ने रावण का वध कर दिया था। लेकिन रावण को ब्रह्मा जी द्वारा अमृतत्व प्रदान होने के कारण उसकी रानी को विश्वास नहीं हुआ। जिसके बाद वह रावण के शव को लेकर यहां पहुंची थी। चार दिन तक रावण की मुर्छा टूटने के लिए तपस्या की थी। यही नहीं तपस्या के दौरान शिवभक्त द्वारा मंदिर में शिवलिग की स्थापना व महाभारत कालीन कई तरह किवंदती मंदिर से जुड़ी हैं।

चार दिन बाद होता रावण के पुतले का दहन

रावण के अंतिम संस्कार के बाद ही सिकंदराबाद में दशहरे के चार दिन बाद उसके पुतले का दहन होता है। बराही माता का भव्य मेला मंदिर परिसर के पास लगता है। जिसमें नगर नहीं बल्कि देहात व आसपास के लोग पूजा करने उमड़ते हैं। यही नहीं शीतला माता की पूजा व छठ पर्व भी मंदिर में मेला लगता है।


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