देश-विदेश में धूम मचा रहा खुर्जा का टेराकोट उद्योग
टेराकोटा (चिकनी मिट्टी) उद्योग ने क्रॉकरी उद्योग को ग्रहण लगा दिया है। इसके बर्तनों की मांग देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लगातार बढ़ती जा रही है।
बुलंदशहर, जेएनएन: टेराकोटा (चिकनी मिट्टी) उद्योग ने क्रॉकरी उद्योग को ग्रहण लगा दिया है। इसके बर्तनों की मांग देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लगातार बढ़ती जा रही है। स्वास्थ्य के लिहाज से टेरा कोटा के बर्तन सबसे मुफीद साबित हुए हैं। क्योंकि टेराकोटा के बर्तनों में पकाए गए भोजन में शत-प्रतिशत पोषक तत्व रहते हैं, जबकि एल्युमिनियम के बर्तन में पोषक तत्वों की मात्रा घटकर सात से 13 प्रतिशत रह जाती है।
खुर्जा निवासी पॉटरी कारोबारी डा. रामअवतार ने स्वाद और सेहत की नींव बुलंद करने की शुरुआत वर्ष 2000 में की थी। हालांकि उस समय तकनीक के अभाव में बर्तनों की गुणवत्ता उच्च स्तर को नहीं छू पाई थी। बर्तन बहुत जल्द टूट जाते थे और एक-दो बाद प्रयोग करने के बाद लोग उन्हें फेंक देते थे। उस समय इन बर्तनों का डिजाइन और आकर्षण भी लोगों के दिलों में जगह नहीं बना पाए। जिसके बाद भी रामअवतार बर्तनों को नया आकार और मजबूती देने की जद्दोजहद में जुटे रहे। जिसके बाद वर्ष 2013 में तकनीक में सुधार हुआ तो रामअवतार के हौंसले को भी पंख लगे। जिसके बाद अब पांच वर्ष पहले उन्होंने नाश्ते से लेकर डिनर सेट तक, खाने से लेकर कुकिग तक में उपयोग होने वाले बर्तन बनाने शुरू किए। जिस कारण उनके कद्रदान अब दिल्ली, महाराष्ट्र, पश्चिमी बंगाल, दक्षिण प्रांतों के साथ-साथ विदेश में अमेरिका, न्यूजीलैंड, कनाडा, दुबई आदि के वाशिदे होने लगे हैं। विदेशों में भी डीलर द्वारा सप्लाई की जा रही है। वर्ष 2018 में उन्होंने उत्तर-प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कई उत्पाद भी भेंट किए थे।
यहां तैयार हो रहे टेराकोटा के यह बर्तन
खुर्जा की मिट्टी कला में कूकर, दाल हांडी, दही हांडी, दूध हांडी, पानी की बोतल, पानी सुराही, कढ़ाई सेट, फ्राईपैन, डोंगा सेट, प्रेशर कूकर, टी-सेट, जग सेट, डिनर सेट, मॉर्निंग सेट, कॉफी सेट आदि बर्तन बनाए जाते हैं।
स्वाद और शुद्धता भी
दिलचस्प बात यह है कि एल्युमिनियम के बर्तनों में तैयार भोजन में पोषक तत्वों की मात्रा सात से 13 प्रतिशत कुल रह जाती है, जबकि टेराकोटा के बर्तनों में पोषक तत्वों की मात्रा शत-प्रतिशत रहती है। स्वास्थ्य के लिहाज से टेराकोटा के बर्तनों की मांग लगातार बढ़ रही है। यहीं कारण है कि टेराकोटा के बर्तनों की मांग बढ़ने के कारण क्रॉकरी उद्योग पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा है।