पश्चिमी यूपी को चढ़ा जापानी फीवर का 'फीवर'
गौरव शर्मा, बुलंदशहर: ग्लोबलवार्मिग कहें या फिर कुछ और पूर्वी यूपी के बुखार की तपन पश्चिम
गौरव शर्मा, बुलंदशहर: ग्लोबलवार्मिग कहें या फिर कुछ और पूर्वी यूपी के बुखार की तपन पश्चिमी यूपी में आनी शुरू हो गई है। शासन स्तर पर हुई बैठक में अधिकारियों को जापानी बुखार के संबंध में कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। उनसे कहा गया कि बुखार को लेकर अलार्मिंग स्थिति भले नहीं है, फिर भी एहतियातन कदम उठाए जाएं। स्वास्थ्य विभाग के अफसर ने बताया कि जापानी इन्सेफेलाइटिस के लिए पूर्वी यूपी का मौसम अनुकूल है। इसलिए वहां हर साल हजारों लोग बुखार की चपेट में आ जाते हैं। काफी काल के गाल में समा जाते हैं। खास बात यह है कि इस बुखार का इलाज नहीं है, इसलिए संकट और खड़ा हो जाता है। दिसंबर के अंत में शासन स्तर पर डेंगू, मलेरिया, जापानी बुखार से निपटने के इंतजामों पर चर्चा हुई। अफसरों से कहा कि बुखार को लेकर कार्ययोजना तैयार की जाए। लोगों को भी जागरूक किया जाए। अधिकारी ने बताया कि पश्चिमी यूपी में यदि एक भी केस सामने आया तो स्थिति खतरनाक हो सकती है। इसलिए पहले से तैयार रहने के लिए कहा गया है।
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क्या तैयार होगी कार्ययोजना
लोगों को जागरूक करने के लिए होर्डिग लगाए जाएं।
अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित कराया जाए।
ड्रग स्टोर रूम में कुछ वैक्सीन रख सकते हैं।
कार्यशाला आयोजित कर कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाए।
केस सामने आने पर अस्पतालों में वार्ड सुरक्षित किए जा सकते हैं।
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कैसे होता है बुखार, क्या है लक्षण
जापानी इनसेफेलाइटिस एक फ्लेविवाइरस से होता है, जो मनुष्य एवं पशु दोनों को प्रभावित करता है। संक्रमित मच्छर के काटने से पशुओं से मनुष्यों में पहुंच जाता है। सुअर और पक्षी वायरस के मुख्य वाहक हैं। अगर मच्छर इन्हें काटने के बाद किसी व्यक्ति को काट ले तो वह बीमार हो जाता है।
चिकित्सकों का कहना है कि उच्च तापमान, दौरे, गर्दन का अकड़ना, भ्रम, बात करने में असमर्थता, शरीर के अंगों के बेकाबू झटके, मांसपेशियों में कमजोरी या पक्षाघात इसके लक्षण हैँ। उसके बाद मस्तिष्कशोथ, पक्षाघात, दौरे, कोमा में जाना और अंत में मौत तक हो सकती है।
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बचाव कैसे करें
मच्छर के काटने से बचें
कीट निवारक क्रीम का प्रयोग करें
शरीर को पूरी तरह से ढंककर रखें
सबसे ज्यादा मच्छर काटने वाले क्षेत्रों में जाने से बचें
जापानी इन्सेफेलाइटिस के लिए वैक्सीन लें