आयुर्वेद से बढ़ाएं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता
सोलह जनवरी से जिले में कोरोना की रोकथाम के लिए टीकाकरण शुरू हो जाएगा। टीका लगने के एक माह बाद तक भी वायरस से बचने के लिए एहतियात बरतनी होगी और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखना होगा।
जेएनएन, बुलंदशहर। सोलह जनवरी से जिले में कोरोना की रोकथाम के लिए टीकाकरण शुरू हो जाएगा। टीका लगने के एक माह बाद तक भी वायरस से बचने के लिए एहतियात बरतनी होगी और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखना होगा। इसके लिए घरेलू और आयुर्वेदिक चीजों से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करें।
शहर के चौक बाजार स्थित हकीम मुकुटलाल आयुर्वेदिक चिकित्सालय के आयुर्वेदाचार्य वैद्य सुरेशचंद गर्ग ने बताया देश में जटिल से जटिल बीमारियों का इलाज पहले आयुर्वेद से होता था। आयुर्वेद का इलाज आज भी कारगर है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो तो वायरस शरीर में प्रवेश ही नहीं कर पाता है। सभी लोगों को टीका लगने में कुछ समय लगेगा। वैसे भी पहला टीका लगने के बाद दूसरे टीके में 28 दिन का समय लगेगा। इसलिए कोरोना की गाइड लाइन का पालन करते हुए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं। इसके लिए रसोई में रखी काली मिर्च, लोंग, दालचीनी, सोंठ, तुलसीपत्र का इस्तेमाल कर काढ़ा बना सकते हैं। इसके अलावा एक चम्मच मुलेठी, आठ से दस तुलसी के पत्ते, दो से चार ग्राम दालचीनी, एक इंच अदरक, एक इंच ताजा हल्दी, गिलोय की थोड़ी डंडी और दो से चार पत्ती, थोड़ी काली मिर्च को एक लीटर पानी में उबालकर काढ़ा तैयार किया जा सकता है। खाने में दाल, पनीर, हरी सब्जी, खट्टी चीजें जैसे संतरा, नींबू आदि लें। गुनगुने पानी का सेवन करें। कोरोना के भय के बिना भी यदि काढ़ा सप्ताह में पांच दिन पीते रहेंगे तो भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ी रहेगी और सर्दी जनित बीमारी जैसे बुखार, खांसी, जुकाम, नजला, बुखार, शरीर टूटने, सिरदर्द जैसे दिक्कतों से बचे रहेंगे।