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आशियानों के ऊपर से गुजर रही एचटी लाइन, कभी भी हो सकता है हादसा

ग्रामीणों के आशियानों के ऊपर से जा रही एचटी लाइन लगातार खतरे की घंटी बजा रही हैं। शिकायतों के बाद भी ग्रामीणों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ऐसे में ग्रामीण डरते हुए अपने मकानों की छत पर जाते हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 06:57 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 06:57 PM (IST)
आशियानों के ऊपर से गुजर रही एचटी लाइन, कभी भी हो सकता है हादसा
आशियानों के ऊपर से गुजर रही एचटी लाइन, कभी भी हो सकता है हादसा

बुलंदशहर, जेएनएन। ग्रामीणों के आशियानों के ऊपर से जा रही एचटी लाइन लगातार खतरे की घंटी बजा रही हैं। शिकायतों के बाद भी ग्रामीणों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ऐसे में ग्रामीण डरते हुए अपने मकानों की छत पर जाते हैं।

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खुर्जा के गांव नगला मोहद्दीनपुर में करीब दस मकानों की छतों के ऊपर से होकर हाईटेंशन लाइन के तार जा रहे हैं। इतना ही नहीं गांव निवासी रविद्र और ओमवीर के मकान की छत पर तो लाइन के इंसुलेटर तक रखे हुए हैं। साथ ही तारों की ऊंचाई बहुत ही कम हैं। जिस कारण लाइन मकान की छतों से कुछ ही दूरी पर है। ऐसे में बरसात के समय ग्रामीणों को अपने मकानों में करंट उतरने का खतरा सताता रहता है। इतना ही नहीं डर के चलते ग्रामीण अपने परिवार के बच्चों को भी मकान की छतों पर नहीं जाने देते हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि वह लगातार पिछले एक दशक से विद्युत विभाग के अधिकारियों से लाइन को शिफ्ट कराने की मांग करते हुए आ रहे हैं, लेकिन उसके बाद भी उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ऐसे में वह हाईटेंशन लाइनों के नीचे मौत के साये में जिदगी जीने को विवश हैं। वहीं कई बार हादसों का सबब बन चुकी इस विद्युत लाइन की तरफ विभागीय अधिकारी भी मुंह फेरे हुए हैं।

बोले ग्रामीण ..

मेरे मकान की छत के ऊपर से हाईटेंशन लाइन के तार जा रहे हैं। जिसकी चपेट में आकर पहले मेरी पुत्री भी झुलस चुकी है। जिसके बाद से ही लाइन को शिफ्ट कराने की शिकायतें की जा रही हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

- ओमवीर सिंह, ग्रामीण। प्लाटों के ऊपर से ही हाईटेंशन लाइन के तार जा रहे हैं और कहीं जगह नहीं होने के कारण मजबूरी में किसानों ने मकान बनाए हैं। लगातार शिकायतों के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

- अवनीश राजपूत, ग्रामीण। इन्होंने कहा ..

जिस समय लाइन खींची गई थी। उस समय वहां पर मकान नहीं थे। ग्रामीणों ने बाद में मकान बनाए हैं। इस्टीमेट बनाने के बाद ही लाइन को शिफ्ट किया जा सकता है।

- महेश उपाध्याय, एक्सईएन ऊर्जा निगम।


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