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झोपड़ी में टूट रही अपने घर की उम्मीद

प्रधानमंत्री आवासीय योजना (ग्रामीण) के तहत ऐसे लोगों को घर उपलब्ध कराया जाना था इसके लिए ब्लाक स्तर पर सर्वे कराकर ऐसे परिवारों का चयन किया गया जिनकी आय के सीमित साधन हैं और पक्का घर नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Jul 2019 11:37 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jul 2019 06:20 AM (IST)
झोपड़ी में टूट रही अपने घर की उम्मीद
झोपड़ी में टूट रही अपने घर की उम्मीद

बुलंदशहर, जेएनएन। प्रधानमंत्री आवासीय योजना (ग्रामीण) के तहत ऐसे लोगों को घर उपलब्ध कराया जाना था, इसके लिए ब्लाक स्तर पर सर्वे कराकर ऐसे परिवारों का चयन किया गया जिनकी आय के सीमित साधन हैं और पक्का घर नहीं है। सर्वे के दौरान बड़े स्तर पर गड़बड़ी हुई और अपात्रों ने भी अपना नाम पात्रों की सूची में दर्ज करा लिया। उधर, हर वर्ष आवास का सीमित लक्ष्य होने के कारण बड़ी संख्या में आवास पाने के लिए पात्रता की श्रेणी में दर्ज होने के बाद भी तमाम वंचित लोगों को नाम सूची से बाहर कर दिया गया। कहने के लिए जिले में प्रधानमंत्री आवासीय योजना के नाम पर अभी तक बीस करोड़ से अधिक की धनराशि पात्रों के खातों में भेज दी गई है। लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ होना नजर नहीं आया। अभी भी स्याना, सिकंदराबाद, डिबाई, अनूपशहर, खुर्जा तहसील में आवासीय योजना में शामिल न होने के कारण लोग झोपड़ी में जीवन जीने को मजबूर हैं।

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चक्कर काट-काट कर बने घनचक्कर

जहांगीराबाद के मोहल्ला रोगान निवासी विधवा देवी ने बताया कि मकान पाने के लिए फार्म भरा था और अधिकारियों के दर पर कई बार चक्कर भी काटे, लेकिन अभी तक भी पक्का घर बनाने के लिए कुछ नहीं मिला। कई लोगों ने मकान दिलाने का झांसा देने का प्रयास किया और रुपयों की मांग भी की। पांच सौ रुपये भी एक व्यक्ति ने ले लिया। लेकिन घर का सपना अधूरा ही रहा।

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सालों बाद भी नहीं सुधरी हालत

दानपुर के गांव खुदादिया निवासी मजदूर दाताराम की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। ग्रामीण ने बताया कि ब्लाक से लेकर तहसील और जिला मुख्यालय तक घर की चाह में चक्कर रहे हैं लेकिन किसी ने सुध नहीं ली है। अब परिवार के साथ कच्चे घर में तिरपाल डालकर रहने को मजबूर हैं। कई बार तिरपाल फट चुका है और नया खरीदने के लिए कई बार पैसे भी नहीं होते। ऐसे में परिवार को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

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सिलेंडर मिला, आवास नहीं

कस्बा खानपुर निवासी मुकेश को कुछ माह पहले केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना के तहत गैस सिलेंडर तो मिल गया, लेकिन आवास की आस अभी भी अधूरा ही है। मुकेश के मुताबिक कई बार अधिकारियों से गुहार लगाई गई और चक्कर काट के थक गया। लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो सका।

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परीक्षा लेती है बरसात

झोपड़ी डालकर परिवार के साथ रहते लोगों के लिए सबसे अधिक परेशानी बरसात के मौसम में होती है। वर्तमान में खानपुर, ककोड़, अनूपशहर, जहांगीराबाद आदि क्षेत्रों में सैंकड़ों की संख्या में परिवार झोपड़ी और तिरपाल डालकर रहने को मजबूर है। बातचीत के दौरान लोगों ने बताया कि बरसात के मौसम में जहां पूरी झोपड़ी से पानी गिरता रहता है, वहीं तेज आंधी कई बार झोपड़ी को अपने साथ उड़ा कर भी ले जाती है। -------

घर के नाम पर जमकर हुई उगाही

प्रधानमंत्री आवासीय योजना का लाभ दिलाने के नाम पर विभागीय मिलीभगत कर प्रधान से लेकर ब्लाक कर्मियों ने गरीब वर्ग से रुपयों की उगाही की। फार्म भरवाने से लेकर लाभ दिलवाने और खाते में पहली किस्त भिजवाने तक के नाम पर रुपये लिए गए। ऐसी तमाम शिकायतें जिलाधिकारी कार्यालय से लेकर मुख्यमंत्री पोर्टल पर की गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।

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जिले में योजना की स्थिति

989 - पात्रों को मिल चुका है लाभ

70 - पात्रों को चौथी किस्त का इंतजार

109 - नए पात्रों का किया है चयन

2.50 लाख - प्रति आवास है बजट

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इन्होंने कहा ..

जनपद में प्रधानमंत्री आवासीय योजना के 989 पात्रों को आवास निर्माण के लिए चौथी किस्त का आवंटन कर दिया है। पात्रों के चयन भी सर्वे के बाद किया गया और उनकी जांच भी कराई गई। जिसके बाद आवास विहीन लोगों का नाम सूची में दर्ज किया गया। अब वर्ष 2019-20 में जनपद में 109 आवासों का निर्माण किया जाना है, जिसके लिए 105 पात्रों का चयन कर लिया है। जबकि चार पात्रों की जांच की जा रही है। इसके बाद सभी के खातों में आवास के लिए निर्धारित रकम भेज दी जाएगी। पहली किस्त भेजने की पूरी तैयारी कर ली गई है। आगामी दो सप्ताह में पात्रों तक पहली किस्त पहुंच जाएगी।

- सर्वेश चंद्र, परियोजना निदेशक


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