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टीन शेड में तप रहे गोवंश, सुध लेने वाला कोई नहीं

सूबे की सरकार ने बेसहारा गोवंश के लिए प्रत्येक जिलों में गोआश्रय स्थल बनवाएं और इनके भरण पोषण के लिए प्रति माह करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। इनके पालन-पोषण की जिम्मेदारी कई विभागों को दी गई थी लेकिन आश्रय स्थलों में इनके हालात जिले में ठीक नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Jun 2020 10:56 PM (IST)Updated: Wed, 17 Jun 2020 06:01 AM (IST)
टीन शेड में तप रहे गोवंश, सुध लेने वाला कोई नहीं
टीन शेड में तप रहे गोवंश, सुध लेने वाला कोई नहीं

बुलंदशहर, जेएनएन। सूबे की सरकार ने बेसहारा गोवंश के लिए प्रत्येक जिलों में गोआश्रय स्थल बनवाएं और इनके भरण पोषण के लिए प्रति माह करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। इनके पालन-पोषण की जिम्मेदारी कई विभागों को दी गई थी लेकिन आश्रय स्थलों में इनके हालात जिले में ठीक नहीं है। 40 के पार पहुंच रहे तापमान में गोवंश टीनशेड में तपने को मजबूर हैं। चारा, पानी और पौष्टिक आहार न मिलने से ये गोवंश काफी कमजोर और बीमार हो रहे हैं।

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जनपद में नगर क्षेत्र में 17 और देहात क्षेत्र में 137 गोआश्रय स्थल बनाए गए हैं। इनमें 10 हजार 983 गोवंश संरक्षित हैं। शासन की ओर से इनके भरण-पोषण के लिए 30 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से बजट जारी करती है। लेकिन आश्रय स्थलों में केयर टेकर के भरोसे ही इनकी देखभाल हो रही है। कहीं सबमर्सिबल नहीं है तो कहीं टीन शेड और चाहरदीवारी टूटी पड़ी हैं। लापरवाही से मर गई थीं गाय

गत दिनों अनूपशहर स्थित गोआश्रय स्थल पर कमजोरी और बीमारी के चलते दो दिनों में सात गायों की मौत हो गई थी। इन्हें दफनाया नहीं गया और कुत्तों ने इनका शवों को नोच डाला था। शिकारपुर में भी एक सप्ताह पूर्व दो गाय करंट लगने से मर गई थीं। कोंदू में भी गोवंश की मौत का मामला उजागर हुआ था। रास नहीं आई सहभागिता योजना

मुख्यमंत्री ने बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के अंतर्गत गोआश्रय स्थलों से घर ले जाकर इन्हें पालने के लिए 900 रुपये प्रति माह देने की घोषणा की थी। यह योजना भी लोगों को रास नहीं आई और संरक्षित गोवंश में से मात्र डेढ हजार गोवंश ही किसानों ने पालन-पोषण के लिए ली। बजट की स्थिति

लॉकडाउन के दौरान यानि मार्च और अप्रैल में 80 लाख व 40 लाख की दो किस्त पशुपालन विभाग का प्राप्त हुई हैं। हालांकि पशुपालन विभाग ने 4.80 करोड़ रुपये की डिमांड शासन को भेजी है।

इन्होंने कहा..

मंडल में सर्वाधिक गोवंश संरक्षण हमारे जनपद में हैं। कमजोर और बीमार गोवंश का चेकअप करने के लिए प्रतिदिन चिकित्सकों की ड्यूटी लगती है। सूचना पर टीम मौके पर पहुंचती है। गोवंश पालन में कोई कोताही नहीं बरती जा रही है। कोताही बरतने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी।

-लक्ष्मीनारायण, मुख्य पशु चिकित्सक।


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