बच्चों को उच्च शिक्षा दें और कुरीतियों से बचाएं:वीरपाल सिंह
राष्ट्रीय जाट एकता मंच के राष्ट्रीय सम्मेलन में राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरपाल सिंह ने कहा कि समाज और देश का विकास तभी संभव है जब हमें बच्चों को उच्च शिक्षा दें और सामाजिक कुरीतियों से बचाएं। जिस समाज के युवा शिक्षित और संस्कारित होते हैं उसका विकास कोई नहीं रोक सकता है। इसलिए सभी सदस्य कुरीतियां मिटाने के लिए आगे आएं।
बच्चों को उच्च शिक्षा दें और कुरीतियों से बचाएं:वीरपाल सिंह
बुलंदशहर, जेएनएन : राष्ट्रीय जाट एकता मंच के राष्ट्रीय सम्मेलन में राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरपाल सिंह ने कहा कि समाज और देश का विकास तभी संभव है, जब हमें बच्चों को उच्च शिक्षा दें और सामाजिक कुरीतियों से बचाएं। जिस समाज के युवा शिक्षित और संस्कारित होते हैं, उसका विकास कोई नहीं रोक सकता है। इसलिए सभी सदस्य कुरीतियां मिटाने के लिए आगे आएं।
नरौरा में जाट हाउस पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि एक दौर था, जब जाट समाज के बच्चे कम पढ़ते थे। लेकिन आज खेती करने वाला जाट भी अपने बच्चों को शिक्षा दे रहा है। हमे आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवारों के बच्चों की भी पढ़ाई में मदद करनी है। बेटियों को भी अधिक से अधिक शिक्षा दिलाएं। समाज में इस समय सबसे बड़ी कुरीति दहेज प्रथा, नशा और बच्चों का अपराधिक संगत में जाना है। दहेज रहित शादियों के लिए समाज को जागृत करें। ये तभी संभव है, जब हम सबसे पहले अपने घर में बिना दहेज के बेटे की शादी करें। बिना कुरीतियों के मिटाए समाज का भविष्य बदलने वाला नहीं है। मंच के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी हरबीर सिंह ने कहा कि जोत की जमीनें घटती जा रही हैं, आने वाली पीढि़यों को नौकरी और व्यापार करके ही काम चलाना पड़ेगा। शराब समेत तमाम तरह के नशे से परिवार बर्बाद हो रहे हैं। भाईचारा खत्म होने से खून-खराबे हो रहे हैं। इनको रोकने के लिए समाज के प्रत्येक सदस्य को आगे आकर नैतिक जिम्मेदारी निभानी होगी। अध्यक्षता कर रहे जिला पंचायत अध्यक्ष चौधरी ओमवीर सिंह ने कहा कि शादी में लेनदेन और अरष्टि में पगड़ी और भोजन को भी हमे मिलकर बंद करना होगा। तभी सामाज में समानता आएगी। दिल्ली, हरियाणा और उत्तराखण्ड के साथ ही प्रदेश के कई जिलों के जाट सम्मेलन में पहुंचे। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने फीता काटकर किया। सम्मेलन में चौ. नरवीर सिंह, केएस राना, चौ. वीरपाल सिंह धारीवाल, चौ. हरबीर सिंह, चौ. सबीर सिंह, अशोक चौधरी, देवेन्द्र सिंह आदि ने विचार रखे। संचालन चौ. मीर सिंह ने किया।