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नरौरा परमाणु विद्युत केंद्र के बाहर से 22 घंटे बाद हटा गैस कैप्सूल

नरौरा परमाणु विद्युत केंद्र के बाहर पलटा एलपीजी से भरे कैप्सूल करीब 22 घंटे बाद शनिवार सुबह पांच बजे सड़क से हटा दिया गया। कैप्सूल में भरी गैस को रिफिलिग करने में ही आठ घंटे का समय लगा। इस दौरान इंजीनियरों की टीम पूरे साजो-समान के साथ मौके पर जमी रही। उधर घटना स्थल के पास मौजूद गांव नंदपुर में दहशत पसरी रही।

By JagranEdited By: Published: Sat, 05 Oct 2019 09:08 PM (IST)Updated: Sun, 06 Oct 2019 06:22 AM (IST)
नरौरा परमाणु विद्युत केंद्र के बाहर से 22 घंटे बाद हटा गैस कैप्सूल
नरौरा परमाणु विद्युत केंद्र के बाहर से 22 घंटे बाद हटा गैस कैप्सूल

बुलंदशहर, जेएनएन। नरौरा परमाणु विद्युत केंद्र के बाहर पलटा एलपीजी से भरे कैप्सूल करीब 22 घंटे बाद शनिवार सुबह पांच बजे सड़क से हटा दिया गया। कैप्सूल में भरी गैस को रिफिलिग करने में ही आठ घंटे का समय लगा। इस दौरान इंजीनियरों की टीम पूरे साजो-समान के साथ मौके पर जमी रही। उधर, घटना स्थल के पास मौजूद गांव नंदपुर में दहशत पसरी रही। प्राथमिक स्कूल में शिफ्ट किए गए ग्रामीणों ने रात जागकर गुजारी।

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नरौरा-रामघाट रोड पर शुक्रवार सुबह अलीगढ़ की ओर से आ रहा इंडेन कंपनी का 20 टन क्षमता वाला एलपीजी से भरा कैप्सूल नरौरा परमाणु केंद्र के पास अनियंत्रित होकर पलट गया था। कैप्सूल गुजरात के पिपोहा पोर्ट, एपीएम टर्मिनल से उत्तराखंड के काशीपुर जा रहा था। सूचना पर पहुंची पुलिस ने नरौरा-रामघाट-अलीगढ़ मार्ग को पूरी तरह से बंद कर दिया। गैस कैप्सूल पलटने के बाद गैस का रिसाव शुरू हो गया। सूचना पर अलीगढ़ से इंजीनियरों की टीम मौके पर पहुंची और जांच के बाद गैस के रिसाव को बंद कर दिया और कैप्सूल को हटाने की कवायद शुरू की थी। तमाम विकल्प पर सोच-विचार के बाद पलटे कैप्सूल को रीफिलिंग कर खाली करने पर सहमति बनी। बाद में शाहजहांपुर से दो खाली कैप्सूल और रीफिलिंग मशीन मंगाई गई। तमाम दिक्कतों के बाद रात आठ बजे से कैप्सूल से रीफिलिंग शुरू की गई। सुबह करीब चार बजे गैस रीफिलिंग का काम पूरा हो गया और पलटे कैप्सूल को पांच बजे सड़क से हटाया गया।

अंधेरे में रहा गांव और केंद्र का गेट

गैस से भरा कैप्सूल पलटने के बाद से ही गांव नंदपुर की बिजली काट दी गई थी। इस कारण गांव अंधेरे में डूबा रहा। इसके बाद रीफिलिंग से पहले ही इंजीनियरों ने परमाणु केंद्र के गेट और चाहरदीवारी की लाइट को भी बंद करा दिया। रीफिलिंग के समय इंजीनियरों ने इमरजेंसी लाइट और मोबाइल की लाइट से रातभर काम किया। रीफलिग का काम पूरा होने और गैस कैप्सूल रवाना होने के बाद ही परमाणु केंद्र के गेट की लाइट का जलाया गया।

इन्होंने कहा .

गैस से भरे कैप्सूल को सीधा करने के लिए गैस रीफिलिंग की गई। सावधानी के साथ 17-17 टन क्षमता के दो कैप्सूल में गैस भरकर रवाना किया गया।

- सौरभ तिवारी, इंडियन ऑयल के एलपीजी सेफ्टी असिस्टेंट मैनेजर


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