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आस्था के साथ हजारों गरीबों की आय का भी जरिया है गंगा मेला

आस्था के तट पर श्रद्धालु पुण्य कमाने की लालसा से आ रहे थे, ¨कतु कई गरीब एक वर्ष तक अपनी जरूरत के सामान को खरीदने के लिए होने वाली आय का पर्व मानते हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Nov 2018 10:58 PM (IST)Updated: Fri, 23 Nov 2018 10:58 PM (IST)
आस्था के साथ हजारों गरीबों की आय का भी जरिया है गंगा मेला
आस्था के साथ हजारों गरीबों की आय का भी जरिया है गंगा मेला

अनूपशहर: आस्था के तट पर श्रद्धालु पुण्य कमाने की लालसा से आ रहे थे, ¨कतु कई गरीब एक वर्ष तक अपनी जरूरत के सामान को खरीदने के लिए होने वाली आय का पर्व मानते हैं। गरीब तबके के लोग अनेक संसाधन जुटाकर धन कमाने की लालसा में परिश्रम करते हैं।

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गंगा तट पर लगे कार्तिक मेला क्षेत्र में हर व्यक्ति आस्था व अर्थ से जुड़ा हुआ है। कोई कमाने आया तो कोई गंगा की आस्था में डुबकी लगाने आया हुआ था। यहां पर विभिन्न रूप में करोड़ों का लेन-देन होता है, महापुरुषों द्वारा धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष में अर्थ की गणना भी उसके महत्व को देखते हुए की गई है। कई लोगों के पास नियमित कार्य नहीं होता है, मेला जैसे आयोजन निर्धन व्यक्ति की आजीविका के लिए पूरी तरह से अनुकूल होते हैं। क्योंकि मेले मे कम पूंजी में अपनी आजीविका जुटाई जा सकती है। खुले मैदान में जमीन के चंद फुट स्थान की कीमत अदा करके छोटी सी दुकान पर दूसरों की जरूरतों को पूरा करके अपने सपने को साकार करते है। मेले में मुंडन करके, कथा करके, जल भरने के डिब्बे, चाट वाले, खजले वाले, कुछ नहीं तो बांसुरी बेचकर आदि सामान बेचकर ही बहुत से लोगों ने अपने लिए कुछ दिन रोटी चलाने की जुगाड़ बना लिया। कई स्थानों पर छोटे-छोटे बच्चे फूल बेचकर ही चंद रुपये कमाकर संतुष्टि पा रहे थे।


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