टूटे तारों को शिक्षा की 'निधि' से रोशन कर रहीं निधि
शिक्षा पाने का अधिकार सबको है लेकिन कुछ बच्चे इस अधिकार से वंचित रह जाते हैं। ये बच्चे अधिकतर स्लम बस्तियों शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम आदि होते हैं। ऐसे ही बच्चों को शिक्षा की ज्योति जलाने का बीड़ा खुर्जा की पंचवटी कालोनी निवासी निधि वाष्र्णेय ने उठाया हुआ है। वह ऐसे बच्चों को तलाश करती हैं और फिर उनके माता-पिता से अनुमति लेकर उन्हें अपनी पाठशाला का हिस्सा बनाती हैं।
बुलंदशहर, जेएनएन। शिक्षा पाने का अधिकार सबको है, लेकिन कुछ बच्चे इस अधिकार से वंचित रह जाते हैं। ये बच्चे अधिकतर स्लम बस्तियों, शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम आदि होते हैं। ऐसे ही बच्चों को शिक्षा की ज्योति जलाने का बीड़ा खुर्जा की पंचवटी कालोनी निवासी निधि वाष्र्णेय ने उठाया हुआ है। वह ऐसे बच्चों को तलाश करती हैं और फिर उनके माता-पिता से अनुमति लेकर उन्हें अपनी पाठशाला का हिस्सा बनाती हैं। इस पाठशाला में दिव्यांग और गरीब बच्चों को नवचेतना अभियान के जरिए शिक्षा की अलख जगाने में जुट जाती हैं। इस पाठशाला में शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को संस्कारवान बनाने का भी पाठ पढ़ाया जाता है। वहीं खेलकूद के प्रति उन्हें जागरूक किया जाता है।
खुद के दर्द से ही मिली प्रेरणा
खुर्जा की पंचवटी कालोनी निवासी निधि वाष्र्णेय पुत्री ज्योति स्वरूप अरोड़ा की शादी दिल्ली नरेला में हुई थी। शादी के बाद उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। पुत्र विभोर वाष्र्णेय मानसिक रूप से अक्षम था। उसके उपचार के लिए वह पंजाब के फरीदपुर गई। जहां उन्हें ऐसे काफी बच्चे दिखाई दिए। इस पर उनके मन में पीड़ा हुई और उन्होंने ऐसे बच्चों को शिक्षित करना ठान लिया। इसके बाद वह खुर्जा आ गई। जहां उन्होंने अपने भाई अनुराग अरोड़ा से वार्ता की और ऐसे बच्चों को शिक्षित करने की बात कही। फरवरी 2019 में ऐसे बच्चों को पढ़ाने के लिए युवा अवेकिग सोसाइटी के तहत नव चेतना कार्यक्रम की शुरुआत की गई।
कमरा कराया उपलब्ध
निधि की जिज्ञाषा को देखते हुए तत्कालीन एसडीएम खुर्जा सदानंद गुप्ता और बेसिक शिक्षा अधिकारी ने खुर्जा के सिटी स्टेशन स्थित प्राथमिक विद्यालय में ऐसे बच्चों को पढ़ाने के लिए एक कमरा उपलब्ध भी कराया है। जिसमें दिव्यांग बच्चों के लिए शिक्षा, खेलकूद, बोल-चाल आदि का पाठ उन्हें पढ़ाया और सिखाया जा रहा है। शिक्षा की इस पाठशाला में मानसिक रूप से अक्षम और शिक्षा से वंचित रहने वाले पाठशाला में क, ख, ग सीख रहे हैं। जिससे वह सभ्य समाज का हिस्सा बन सकें। वर्तमान में पाठशाला में 36 बच्चे शिक्षा ले रहे हैं और यह पाठशाला दोपहर एक बजे से तीन बजे तक चलती है।
दी जा रही खेलकूद और शिक्षा सामग्री
बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा, खेलकूद सामग्री भी निधि वाष्र्णेय और युवा अवेकिग सोसाइटी के सहयोग से उपलब्ध कराई जा रही है। शिक्षा के साथ-साथ बच्चों के बीच कई खेल भी कराए जाते हैं। जिससे उनका शारीरिक विकास भी हो गए। ट्रीटमेंट सेंटर स्थापित करने की है इच्छा
निधि का कहना है कि मानसिक रूप से अक्षम बच्चों के उपचार को ट्रीटमेंट सेंटर की आवश्यकता है। इसे यहां स्थापित करने की वह और सोसाइटी तैयारी कर रही है। उस सेंटर पर ही बच्चों के उपचार के साथ-साथ उन्हें पढ़ाया भी जा सकेगा।