छह ईट-भट्ठों में फूंकी गई आग को बुझाया
एनसीआर क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम को लेकर क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसर ईंट-भट्ठों में फूंकी गई आग को ठंडा करने में लगे है। मंगलवार को उन्होंने शिकारपुर तहसील क्षेत्र में चल रहे छह ईंट-भट्ठों पर कार्रवाई की। इनमें से चार को सील किया गया।
जेएनएन, बुलंदशहर। एनसीआर क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम को लेकर क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसर ईंट-भट्ठों में फूंकी गई आग को ठंडा करने में लगे है। मंगलवार को उन्होंने शिकारपुर तहसील क्षेत्र में चल रहे छह ईंट-भट्ठों पर कार्रवाई की। इनमें से चार को सील किया गया।
दरअसल, एनजीटी के आदेश पर एनसीआर क्षेत्र में ईंट-भट्ठों का संचालन बंद हैं, लेकिन भट्ठा संचालक एनजीटी के आदेश की अवहेलना कर रहे हैं। मंगलवार को क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहायक वैज्ञानिक अधिकारी डा. नीरज चतुर्वेदी, वैज्ञानिक सहायक एनएम त्रिपाठी और खुर्जा के अग्निश्मन विभाग की टीम शिकारपुर क्षेत्र में पहुंची। जहां उन्हें करीब छह ईंट-भट्ठे संचालित होते हुए मिले। अग्निश्मन विभाग ने इन ईंट-भट्ठों में फूंकी गई आग को पानी डालकर बुझाया। इस संबंध में क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आरओ आशुतोष चौहान ने बताया कि एनजीटी के आदेश पर का पालन कराने के लिए ईंट-भट्ठों पर कार्रवाई की जा रही है। मंगलवार को शिकारपुर क्षेत्र में टीम ने ईंट-भट्ठों पर कार्रवाई की है।
इन पर हुई कार्रवाई
- मै. जीवन ब्रिक फील्ड, ग्राम पहासू देहात।
- मै. ग्रामीण ईंट उद्योग, उटरावली
- मै. अफजल ईंट उद्योग, ग्राम नवादा।
- मै. गौरी ईंट उद्योग, ग्राम चित्सौन।
- मै. गुप्ता ईंट उद्योग, ग्राम धतूरी।
- मै. ज्योति ब्रिक फील्ड, ग्राम धतूरी।
सभी मरीजों को नहीं लग रही एआरवी
जागरण संवाददाता, बुलंदशहर: वैक्सीन आने के बाद भी कुत्ते और बंदर काटे के मरीजों को राहत नहीं मिल रही है। इंजेक्शन लगवाने के लिए आने वाले कुछ मरीजों को इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं तो कुछ को लौटाया जा रहा है। इससे मरीजों में आक्रोश व्याप्त है। रोजाना दस से अधिक मरीज बिना एआरवी लगवाए ही लौट रहे हैं।
मंगलवार को ओपीडी शुरू होने से पहले ही जिला अस्पताल में कुत्ता और बंदर काटे के मरीज पहुंचने शुरू हो गए। दोपहर डेढ़ बजे तक पर्चे बनते हैं लेकिन दो बजे के बाद तक मरीज ओपीडी में पहुंचते रहे। पर्चा काउंटर पर दोपहर डेढ़ बजे तक कुल 864 पर्चे बने। इनमें से 232 मरीज कुत्ते और बंदर काटे के थे। मरीज अधिक होने के कारण एंटी रैबीज इंजेक्शन (एआरवी) लगवाने वाले मरीजों की कतार लग गई। डेढ़ बजे के बाद भी दस से अधिक मरीज पहुंचे लेकिन पर्चे ना बनने के कारण उनको बिना वैक्सीन लगवाए वापस ही लौटना पड़ा। कई मरीजों ने जिला अस्पातल में वैक्सीन ना लगने के कारण बाजार से खरीदकर भी इंजेक्शन लगवाया। पर्चा काउंटर से लेकर इंजेक्शन लगवाने तक मरीजों की चिकचिक भी होती रही क्योंकि कई मरीज जल्द में इंजेक्शन लगवाना चाहते थे। जिला अस्पताल के सीएमएस डा. राजीव प्रसाद का कहना है कि जब एआरवी खत्म थी तब के रुके मरीज अब तक आ रहे हैं इसलिए थोड़ी भीड़ है।