कृषि प्रधान जिले में नहीं है खाद की कमी
जेएनएन बुलंदशहर बारिश की मार झेल चुके किसान धान की फसल को सुखाने और उसे मंडियों में पहुंचाने में जुटे हैं। जिन किसानों के खेत खाली हो चुके हैं वह गेहूं आलू चना और ज्यौ की फसल बुआई की तैयारियों में जुटे हैं।
जेएनएन, बुलंदशहर :
बारिश की मार झेल चुके किसान धान की फसल को सुखाने और उसे मंडियों में पहुंचाने में जुटे हैं। जिन किसानों के खेत खाली हो चुके हैं वह गेहूं, आलू, चना और ज्यौ की फसल बुआई की तैयारियों में जुटे हैं। फसलों की बुआई के दौरान डीएवी और एनपीके की आवश्यकता होगी। इसके लिए कृषि विभाग ने पूर्ण तैयारी कर ली हैं। सहकारी समितियों पर डीएपी, यूरिया और एनपीके भरपूर मात्रा में है।
कृषि प्रधान जिले में करीब छह लाख किसान परिवार खेतीबाड़ी से जुड़े हैं। गत दिनों लगातार हुई बारिश ने किसानों की कटी धान की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है। बारिश के बाद मौसम साफ है और तेज धूप निकल रही है। ऐसे में किसान धान की फसल सुखाकर गेहूं, ज्यौं, सरसों और आलू की बुआई में जुट गए हैं। ऐसे में किसानों को एनपीके, डीएपी और यूरिया की आवश्यकता होगी। इसके लिए कृषि विभाग ने पूर्ण तैयारी कर ली हैं और जनपद की 127 सहकारी समितियों पर खाद भरपूर मात्रा में उपलब्ध करा दिया है।
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निजी दुकानदारों पर है डीएपी की कमी
जिले में करीब तीन हजार खाद, बीज की दुकानें हैं। निजी दुकानों पर डीएपी की कमी है। कंपनियों से आई डीएपी की रैक को कृषि विभाग ने समस्त सहकारी समितियों को वितरित कर दी हैं ताकि कालाबाजारी और जमाखोरी से बचा जा सके। दुकानदारों के लिए आने वाली डीएपी की रैक से वितरित की जाएगी।
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ये है उपलब्धता
खाद : उपलब्धता : दर
डीएपी : 6000 हजार मीट्रिक टन : 1200 रुपये प्रति बोरा
एनपीके : 4000 हजार मीट्रिक टन : 1470 रुपये प्रति बोरा
यूरिया : 20,000 हजार मीट्रिक टन : 266.50 रुपये प्रति बोरा
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इन्होंने कहा..
प्रदेश की जारी रैकिग के अनुसार खाद उपलब्धता में जनपद 10वें स्थान पर है। सहकारी समितियों पर यूरिया, एनपीके और डीएपी भरपूर मात्रा में है। निजी दुकानदारों की डीएपी की मांग बढ़ी है, इसके लिए जिलाधिकारी स्तर से निदेशालय को पत्र लिखकर रैक की मांग की गई है।
-राहुल तेवतिया
जिला कृषि अधिकारी।
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राजू मलिक