जिले में औषधीय खेती का किसानों में बढ़ा क्रेज
दवा व अन्य उत्पादों में प्रयोग होने वाले औषधीय पौधों की खेती में किसानों की दिलचस्पी बढ़ रही है। औषधीय पौधों की मांग को देखते हुए शासन ने गत वर्ष के मुकाबले इस बार जिले का दोगुने से अधिक लक्ष्य निर्धारित किया है।
बुलंदशहर : दवा व अन्य उत्पादों में प्रयोग होने वाले औषधीय पौधों की खेती में किसानों की दिलचस्पी बढ़ रही है। औषधीय पौधों की मांग को देखते हुए शासन ने गत वर्ष के मुकाबले इस बार जिले का दोगुने से अधिक लक्ष्य निर्धारित किया है।
जिले में प्रमुख रूप से धान व गन्ने की खेती होती है। गन्ने का समय पर भुगतान न होने व धान का मूल्य लागत के सापेक्ष कम मिलने के कारण किसानों का रूझान अब औषधीय पौधों की खेती की ओर बढ़ा है। उद्यान विभाग के अनुसार औषधीय खेती के लिए इस साल जिले को 35 हेक्टेयर का लक्ष्य मिला है। पिछले साल 17 हेक्टेयर का लक्ष्य था, जिसमें 13 हेक्टेयर भूमि पर ही औषधीय खेती हो सकी थी। इस साल, अब तक लगभग 21 हेक्टेयर भूमि में औषधीय पौधे लगाए जा चुके हैं। इससे साफ है कि पिछले साल की अपेक्षा इस बार जिले के किसानों में औषधीय खेती का आकर्षण बढ़ रहा है। एलोवेरा की खेती करने वाले गांव बनैन के किसान गंगाप्रताप ¨सह व सतावर की खेती करने वाले गांव अभयुर के किसान कैलाश चंद का कहना है कि औषधीय खेती अन्य के मुकाबले अधिक लाभ देने वाली है।
इन औषधीय पौधों की हो रही खेती
जिले में एलोवेरा, सतावर, अश्वगंधा, सर्वगंधा व आरटीमीसिया की खेती हो रही है। शासन से एलोवेरा के लिए 15 हेक्टेयर का लक्ष्य मिला है, जिसमें 10 हेक्टेयर में पौधे लग चुके हैं। इसी तरह सतावर के लिए सात हेक्टेयर का लक्ष्य पूरा हो चुका है। अश्वगंधा व सर्वगंधा में पांच हेक्टेयर में से चार हेक्टेयर में पौधे लग चुके हैं। आरटीमीसिया के लिए छह हेक्टेयर का लक्ष्य है। दिल्ली व चंदौसी आदि स्थानों पर इस फसल की अधिक डिमांड होने से किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है। कुछ दवा व आयुर्वेद उत्पाद बनाने वाली कंपनियां किसानों से सीधे संपर्क कर खेत से ही फसल खरीद लेती है। इस तरह मिलती है अनुदान राशि
जिला उद्यान अधिकारी डा. धीरेंद्र ¨सह ने बताया कि किसानों को अनुदान के तौर पर प्रति हेक्टेयर अनुदान राशि निर्धारित है। एलोवेरा की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 18,670 व सतावर पर 27,450 रुपये का अनुदान दिया जाता है। औषधीय खेती करने के इच्छुक किसानों को विभाग में पहले रजिस्ट्रेशन कराना होगा। किसान को अपने स्तर से पौधे को नकद खरीदकर उसका बिल विभाग में जमा करना होता है। पहले आओ पहले पाओ के आधार पर अनुदान राशि का भुगतान किया जाता है। इनका कहना है..
जिले में औषधीय खेती की तरफ किसानों का रूझान बढ़ा है। इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को जागरूक भी किया जा रहा है। जल्द ही इस खेती का लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा।
-डा. धीरेंद्र ¨सह, जिला उद्यान अधिकारी।