लग न जाए किसी की नजर, काला टीका लगाया करो..
बुलंदशहर महोत्सव में महफिले गंगा जमुनी महफिलें मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का उद्घाटन सिटी मजिस्ट्रेट अभय कुमार मिश्र डा. हितेष कौशिक डा. नरेश और सैय्यद निजामी शैदा ने संयुक्त रूप से रविद्र नाट्यशाला में किया।
बुलंदशहर, जेएनएन। बुलंदशहर महोत्सव में महफिले गंगा जमुनी महफिलें मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का उद्घाटन सिटी मजिस्ट्रेट अभय कुमार मिश्र, डा. हितेष कौशिक, डा. नरेश और सैय्यद निजामी शैदा ने संयुक्त रूप से रविद्र नाट्यशाला में किया। संचालन सैय्यद अली अब्बास नौगांवी और वंदना शंभू दत्त त्रिपाठी मां सरस्वती की वंदना करके कवि सम्मेलन की शुरुआत की।
सैय्यद निजामी शैदा ने कहा कि यूं कभी चांदनी रात में घर से बाहर न जाया करो, लग न जाए किसी की नजर काला टीका लगाया करो तथा इसके बाद कहा कि जहां हिदू मुसलमां प्यार से मिलजुल के रहते हैं उसे हम फखरिया लहजे में हिदुस्तान कहते हैं। कांता भारती ने कहा कि मैं तेरे इंतजार में कब से अपनी पलकें बिछाएं बैठी हूं। वहीं, सैयद अली अब्बास नौगांवी ने कहा कि बस वही तो दुनिया में इंकलाब लाते हैं, जुल्म के मुकबिल जो सर नहीं झुकाते हैं। डा. आलोक बेजान ने गाया कि हिफाजत से बचाकर मैंने मां की शॉल रखी है, मां जब याद आती है तो उस को औढ लेता हूं, घड़ी भर के लिए दुनियां से रिश्ता तोड़ लेता हूं मैं दिल से तार एक पल में जोड़ लेता हूं। उधर, फहीम कमालपुरी ने कहा कि सितारों जाओ काली रात से यह राज पूछो तो मुझे रातों को ये आकर जगाने कौन आता है। डा. राही निजामी, वीरेंद्र चौहान, शंभू दत्त त्रिपाठी, डा. असलम बर्नी, लियाकत कमालपुरी, राजेश राज, रमेश प्रसून, देवेंद्र देव आदि ने अपने-अपने कलाम प्रस्तुत किए।