दो बार पाजिटिव होकर भी हिम्मत नहीं हारी
कोरोना महामारी जब पीक पर थी तो नाम सुनते ही मन में घबराहट पैदा हो जाती थी लेकिन स्वास्थ्य विभाग के मुखिया ने हिम्मत नहीं हारी। कोरोना की रोकथाम करते-करते सीएमओ डा. भवतोष शंखधर दो बार पाजिटिव हो गए लेकिन हौंसले से काम लिया। कोरोना वायरस को मात दी और फिर से कोरोना के खिलाफ लड़ाई में कूद पड़े।
जेएनएन, बुलंदशहर। कोरोना महामारी जब पीक पर थी तो नाम सुनते ही मन में घबराहट पैदा हो जाती थी लेकिन स्वास्थ्य विभाग के मुखिया ने हिम्मत नहीं हारी। कोरोना की रोकथाम करते-करते सीएमओ डा. भवतोष शंखधर दो बार पाजिटिव हो गए लेकिन हौंसले से काम लिया। कोरोना वायरस को मात दी और फिर से कोरोना के खिलाफ लड़ाई में कूद पड़े।
जब जिले में जानलेवा वायरस की आमद हुई तो तत्कालीन सीएमओ डा. केएन तिवारी तैनात थे। मई माह में उनका तबादला हो गया। इसके बाद डा. भवतोष शंखधर सीएमओ के पद पर मुरादाबाद से ट्रांसफर होकर आए। मई माह से लेकर अब तक सीएमओ डा.भवतोष शंखधर लगातार कोरोना के खिलाफ लड़ाई में स्वास्थ्य विभाग का नेतृत्व कर रहे हैं। कोरोना की रोकथाम करते करते सीएमओ स्वयं दो बार कोरोना वायरस की चपेट में आ गए। जब पहली बार पाजिटिव हुए तो उन्हें पता ही नहीं चला कि कब वायरस की चपेट में आ गए। जांच कराने पर रिपोर्ट पाजिटिव आई। इसके बाद होम आइसोलेट करके दवा ली और गाइड लाइन का पालन किया। सात दिन के बाद रिपोर्ट निगेटिव आ गई। रिपोर्ट निगेटिव आने के पांच दिन तक घर के अंदर रहे। इसके बाद फिर विभाग के डाक्टरों के साथ कोविड हास्पिटल में आ गए। वायरस की रोकथाम के चलते भागदौड़ करते करते एक बार फिर से कोरोना वायरस ने जकड़ लिया। फिर होम क्वारंटाइन हुए और फिर कोरोने के खिलाफ रोकथाम की जंग का नेतृत्व किया। विभाग के कई डाक्टर और कर्मचारी पाजिटिव हुए लेकिन सीएमओ कतई नहीं घबराए और लगातार मैदान में डटे रहे। मरीजों का मनोबल बढ़ाया
सीएमओ जब पहली बार पाजीटिव हुए और फिर कोरोना मुक्त हुए तो कोविड हास्पिटल में पहुंचकर सभी मरीजों से कहते कि घबराओ मत कुछ नहीं होगा। जब इतनी उम्र होने के बाद वायरस को मैंने हरा दिया तो फिर आप तो बहुत युवा हैं। बिल्कुल ना घबराओ दवा लो और गाइड लाइन का पालन करें। घर नहीं गए
कोरोना की रोकथाम के लिए जब स्वास्थ्य विभाग लड़ रहा था तो स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी और अधिकारियों में से कई ऐसे थे जोकि छुट्टी चले गए। उनके स्थान पर सीएमओ ने स्वयं काम किया लेकिन मरीजों को परेशानी नहीं होने दी। अपने घर भी नहीं गए। लगातार काम करते रहे। इन्होंने कहा..
कोरोना से हम ही डरते तो कैसे चलता। जब टीम को लीड करने वाला लीडर या मुखिया ही घबराएगा तो बाकी लोग तो भाग जाएंगे। पूरे विभाग ने बहुत मेहनत की। इसी का नतीजा है कि अन्य जिलों तुलना में बुलंदशहर की स्थिति सबसे ठीक रही। कोरोना को नियंत्रण में भी किया।
-डा. भवतोश शंखधर-सीएमओ