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प्रकृति से नाता जोड़ेगा विकास प्राधिकरण

हम आधुनिकता की दौड़ में बंधकर पेड़ों का कटान कर कंकरीट का जंगल तैयार कर रहे हैं। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से पर्यावरण संतुलन बिगड़ने से मौसम में लगातार बदलाव हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Jul 2020 10:56 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2020 06:01 AM (IST)
प्रकृति से नाता जोड़ेगा विकास प्राधिकरण
प्रकृति से नाता जोड़ेगा विकास प्राधिकरण

बुलंदशहर, अमर सिंह राघव। हम आधुनिकता की दौड़ में बंधकर पेड़ों का कटान कर कंकरीट का जंगल तैयार कर रहे हैं। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से पर्यावरण संतुलन बिगड़ने से मौसम में लगातार बदलाव हो रहा है। प्राधिकरण ने पर्यावरण संतुलन के लिए अपने कदम बढ़ाते हुए मियावाकी विधि से जंगल विकसित करने की परियोजना पर काम शुरू कर दिया है।

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बुलंदशहर विकास प्राधिकरण बिगड़ते पर्यावरण संतुलन को संतुलित करने के लिए सराहनीय कदम बढ़ाया है। प्राधिकरण की यह नई पहल बिगड़ते पर्यावरण संतुलन को ठीक करने में मील का पत्थर साबित होगी। प्राधिकरण ने मियावाकी विधि से जंगल विकसित करने के लिए परियोजना पर काम भी शुरू करा दिया है। प्राधिकरण ने जमीन को समतल कराने के साथ ही मिट्टी की जांच शुरू करा परियोजना पर काम भी शुरू कर दिया है। क्या है मियावाकी पद्धति

मियावाकी पद्धति तेजी से जंगल उगाने की तकनीक है। यह पद्धति जापान के डा. अकीरा मियावाकी ने 1992 में विकसित की थी। इस पद्धति से पौधों को कम दूरी पर लगाया जाता है। जंगल में जमीन तक सूर्य की किरण नहीं पहुंच पाती हैं। जिससे मिट्टी में नमी बनी रहती हैं। कम स्थान और बंजर जमीन में भी झाड़ीनुमा, मध्यम आकार के पेड़ और छांव देने वाले बड़े पेड़ लगाकर जंगल उगाया जा सकता है। इस तकनीक से लगाए गए पौधे एक वर्ष में 10-15 फीट ऊंचे हो जाते हैं। इन्होंने कहा..

गंगानगर में मियावाकी विधि से जंगल विकसित करने के लिए टेंडर जारी कर काम शुरू करा दिया गया है। 24 अगस्त तक जंगल विकसित करा दिया जाएगा। ठेकेदार से काम शुरू करा दिया गया हैं।

- नीरज कुमार गुप्ता, एसई प्राधिकरण

पर्यावरण संतुलन ठीक करने के लिए मियावाकी विधि से जंगल विकसित कराया जा है। जंगल में टहलने के लिए ट्रैक का भी निर्माण कराया जाएगा। ठेकेदार चार साल तक जंगल की देखभाल करेगा।

- मोहम्मद शफकत कमाल, उपाध्यक्ष प्राधिकरण


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