न्यायालय का आदेश पालन कराने की उठाई मांग
पिछले साल परिषदीय स्कूलों में समायोजित किए शिक्षकों ने न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए विभागीय कार्रवाई पर सवाल खडे़ किए हैं। बुधवार को बीएसए से मुलाकात कर न्यायालय के आदेश का अनुपालन करने की मांग उठाई। राहत न मिलने पर न्यायालय की अवमानना का वाद दायर करने की बता कही। वहीं बीएसए ने मामले की गेंद उच्चाधिकारियों के पाले में डाल अपना पल्ला झाड़ लिया।
बुलंदशहर, जेएनएन। पिछले साल परिषदीय स्कूलों में समायोजित किए शिक्षकों ने न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए विभागीय कार्रवाई पर सवाल खडे़ किए हैं। बुधवार को बीएसए से मुलाकात कर न्यायालय के आदेश का अनुपालन करने की मांग उठाई। राहत न मिलने पर न्यायालय की अवमानना का वाद दायर करने की बता कही। वहीं, बीएसए ने मामले की गेंद उच्चाधिकारियों के पाले में डाल अपना पल्ला झाड़ लिया।
इस दौरान बीएसए कार्यालय में मौजूद शिक्षक-शिक्षकाओं ने बताया कि पिछले साल शासन के निर्देश पर परिषदीय स्कूलों में सरप्लस शिक्षकों को छात्र संख्या के आधार पर समायोजित किया गया। जिसके खिलाफ 151 शिक्षक इलाहाबाद हाईकोर्ट की शरण में चले गए। हालांकि यहां से उन्हें ज्यादा राहत नहीं मिली। विभाग ने शिक्षकों को कार्यमुक्त कर समायोजित विद्यालय में कार्यभार ग्रहण करा दिया। जबकि 222 शिक्षक हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ की शरण में चले गए। मामला विचाराधीन होने के कारण इन शिक्षकों ने समायोजित विद्यालय में कार्यभार ग्रहण नहीं किया। कोरोना काल में सुनवाई प्रभावित रहने के कारण अब मार्च 2021 में हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने इन शिक्षकों को राहत देते हुए फैसला सुनाया है। आरोप है अदालत के आदेश का अनुपालन कराने की बजाय अफसर जबरन मूल विद्यालय से कार्यमुक्त करने का दबाव बना रहे हैं। नियमानुसार समायोजन नहीं करने का भी आरोप लगाया। साथ ही कार्यमुक्ति आदेश को निरस्त कराने की मांग की। बीएसए ने मामले पर शासन से भी दिशा-निर्देश मांगे है।
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समायोजन प्रक्रिया नियमानुसार संपन्न की गई थी। अब इसे लेकर न्यायालय से आदेश मिले है। जिस पर शासन से दिशा-निर्देश मांगे गए है।
- अखंड प्रताप सिंह, बीएसए।