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रंग-बिरंगी मिर्च और खीरे की खेती, दूर भाग रही गरीबी

केंद्र सरकार किसानों की आय दोगुनी करने को पूरी ताकत लगाए हुए है। हकीकत में सरकारी कोशिश केवल लक्ष्य प्राप्ति का सहायक संसाधन बन सकती है। कमाई की मंजिल तो खुद अन्नदाता को ही तय करनी है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 11:44 AM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 11:44 AM (IST)
रंग-बिरंगी मिर्च और खीरे की खेती, दूर भाग रही गरीबी
रंग-बिरंगी मिर्च और खीरे की खेती, दूर भाग रही गरीबी

जेएनएन, बुलंदशहर। केंद्र सरकार किसानों की आय दोगुनी करने को पूरी ताकत लगाए हुए है। हकीकत में सरकारी कोशिश केवल लक्ष्य प्राप्ति का सहायक संसाधन बन सकती है। कमाई की मंजिल तो खुद अन्नदाता को ही तय करनी है। नए प्रयोग, जैविक-वैज्ञानिक विधि का सहारा और मेहनत का समावेश हो जाए तो सफलता कदम चूमती है। अरनिया के गांव मदकौला में किसान राजीव कुमार ने यह कर दिखाया है। आम किसानों की सोच से अलग वह खेती कर रहे हैं। तीन रंगों की शिमला मिर्च और बगैर बीज के खीरों की फसल उगाकर उन्होंने आय में ही वृद्धि नहीं की बल्कि अन्य किसानों के मार्गदर्शक भी बन गए हैं।

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जैविक खाद और पांच रंग की शिमला मिर्च है खासियत

राजीव कुमार ने बताया कि खेती की सबसे बड़ी खासियत जैविक तरीकों से फसल उत्पादन है। वह 100 फीसद से अधिक जैविक खाद उपयोग में लाते हैं। इससे डिमांड रहती है। वहीं उनके द्वारा हरी, सफेद और पीले रंग की शिमला मिर्च उगाई जा रही है, जिसकी डिमांड अधिक है।

आय में हुई वृद्धि

किसान राजीव कुमार ने बताया कि जिदगी में आर्थिक उन्नति का स्वाद, सब्जियों की खेती ने ही डाला है। पहले बटाई पर दूसरों के खेत लेकर फसल उगाते थे। मुनाफा बढ़ा तो खुद का एक पालीहाऊस शुरू किया। इसके बाद आय में अधिक वृद्धि हुई तो उन्होंने एक ओर पालीहाऊस में सब्जी की खेती करनी शुरू कर दी।

कई गांवों के किसान हुए प्रेरित

आसपास के गांव थैंगोरा, नयाबांस, कसेरू, नंगलाकट, जावल, टीकरी और बाहरपुर के किसानों ने राजीव से प्रेरित होकर सब्जी की खेती करने लगे। कुछ किसानों ने खेतों में एक अथवा दो बीघा रंग-बिरंगी शिमला मिर्च और खीरे की नई प्रजातियों की बुआई भी की है।

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पिज्जा, बर्गर और सलाद में हो रहा प्रयोग

कैप्टन स्टार खीरा और बजाटा व इंस्प्रेशन प्रजातियों की शिमला मिर्च की आपूर्ति जिले से आजादपुर और ओखला मंडी में हो रही है। यहां से इनकी आपूर्ति फाइव स्टार होटल, पिज्जा, बर्गर बनाने वाली कंपनियों में होती है। इसके साथ ही पांच सितारा होटल में इनकी सलाद का स्वाद भी ग्राहक ले रहे हैं। राजीव खीरा और शिमला मिर्च की खेती से एक पाली हाऊस से 12 से 14 लाख रुपये प्रति वर्ष कमा रहे हैं।

इन्होंने कहा..

अनूपशहर के गांव मदकौला में राजीव ने दो पालीहाउस में सलाद में प्रयोग होने वाली सब्जियों की खेती की है। दो वर्षों से इस काम में जुटे हैं। इन्होंने जैविक विधि अपनाई है, इससे इनकी सब्जियों में मांग बाजार में काफी है।

-धीरेंद्र सिंह, जिला उद्यान अधिकारी।


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