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सरकारी आश्रम के आंगन में ठिठुर रहा बचपन

जिले के एक मात्र राजकीय आश्रम अव्यवस्थाओं का शिकार है और इन अव्यवस्थाओं का असर जहां यहां रहने वाले बचों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा हैं वहीं शिक्षा का स्तर पर बेहाल है ।

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Dec 2019 11:26 PM (IST)Updated: Sun, 15 Dec 2019 06:06 AM (IST)
सरकारी आश्रम के आंगन में ठिठुर रहा बचपन
सरकारी आश्रम के आंगन में ठिठुर रहा बचपन

बुलंदशहर, जेएनएन। जिले के एक मात्र राजकीय आश्रम अव्यवस्थाओं का शिकार है और इन अव्यवस्थाओं का असर जहां यहां रहने वाले बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा हैं, वहीं शिक्षा का स्तर पर बेहाल है । दाखिला लेने वाले मेधावी बच्चे ऐसी सर्दी में दिन-रात ठिठुर रहे हैं। इन छात्रों के लिए न गर्म कंबल हैं और न रजाई मिली है। सर्दी से बेहाल इन बच्चों को क्लास रूम से निकालकर प्रबंधन परिसर में पढ़ाई करा रहा है लेकिन इनके ऊपर हाईटेंशन लाइन का खतरा भी मंडराया हुआ है।

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राजकीय आश्रम पद्धति स्कूल में एडमिशन कराना गरीब अभिभावकों के लिए चुनौती जैसा है। राज्य सरकार की ओर इन मेधावी बच्चों को शिक्षा, खाना और छात्रावास की सुविधा निश्शुल्क दी जाती है। गांव बदनौरा में स्थित आश्रम पद्धति स्कूल में 104 बच्चों का रजिस्ट्रेशन हैं। जबकि आश्रम की क्षमता 490 बच्चों की है, लेकिन व्यवस्था दुरुस्त न होने के चलते दो दर्जन से अधिक बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया। क्लास रूम और छात्रावास में बिजली फीटिग की कोई व्यवस्था नहीं है। प्रबंधन ने बिजली की तार डालकर समस्त स्कूल में अस्थायी व्यवस्था कर रखी है।

चार वर्षो से नहीं पहुंचे कंबल

क्लास और छात्रावास की टूटी खिड़कियों से गुजरने वाली हवाएं बच्चों को ठिठुरने को मजबूर कर देती हैं। बच्चे चार वर्ष पुराने कंबल में रात गुजारने को मजबूर हैं। बच्चों स्वयं ही टूटी खिड़कियों पर गले-सढे पर्दे अथवा गत्तों को बांध दिया है, ताकि सर्दी से कुछ बचाव हो सके। पिछले चार वर्षों से शासन ने इन्हें न रजाई आवंटित की और न कंबल वितरित किए गए।

बीमार बच्चे भगवान भरोसे

सर्दी से नजला, खांसी, जुखाम और बुखार पीड़ित बच्चे यहां भगवान भरोसे हैं। ऐसे बच्चों को अवकाश दे दिया जाता है और उसे परिजनों के सहारे छोड़ दिया जाता है। नियम होने के बाद भी यहां कोई फार्मासिस्ट की भी तैनाती नहीं है। बीमार बच्चे प्रधानाचार्य व अन्य स्टॉफ के रहमोकरम पर उपचार पाते हैं।

बजट का हो रहा इंतजार

प्रत्येक वर्ष डेढ लाख रुपये मेंटीनेंस और 75 रुपये प्रतिदिन प्रति बच्चे के हिसाब से सरकार राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय को बजट देता है। लेकिन इस बजट क्या हुआ इसका लेखाजोखा देने के लिए लिपिक की भी तैनाती नहीं की गई। बच्चों को स्मार्ट क्लास के लिए 25 कंप्यूटर और फर्नीचर तीन माह से स्वीकृति की बाट जोह रहा है।

इन्होंने कहा

राजकीय आश्रम में व्यवस्थाएं कायम रखने के लिए बजट और स्टॉफ की कमी है, शासन से बजट की मांग की गई है। जल्द ही व्यवस्था दुरुस्त की जाएंगी।

- नागेंद्र पाल, समाज कल्याण अधिकारी


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