सावधान! पीली गेरुई रोग पहुंचा रहा गेहूं को नुकसान
गेहूं की फसल को पीली गेरुई रोग से काफी नुकसान हो रहा है। तापमान में गिरावट एवं हल्की बारिश होने से गेहूं किसान चिंतित हैं।
संवाद सहयोगी, बुलंदशहर : गेहूं की फसल को पीली गेरुई रोग से काफी नुकसान हो रहा है। तापमान में गिरावट एवं हल्की बारिश होने से गेहूं किसान चिंतित हैं। किसान सावधानी बरत कर रोग की रोकथाम भी कर सकते हैं। जिला कृषि रक्षा विभाग किसानों को इस रोग के प्रति जागरूक कर रहा है। -ऐसे करें रोग की पहचान
पीली गेरुई रोग के लक्षण सबसे पहले पत्तियों पर दिखाई देता है। रोग की चपेट में आने पर पत्तियों पर पीले रंग की धारी बनने लगती है। पत्तियों को छूने पर हाथ में पीले रंग का पाउडर जैसा लग जाता है। -उपचार
जिला कृषि रक्षा विभाग के एडीओ राकेश कुमार ने बताया कि रोग के लक्षण दिखाई देने पर प्रोपिकोनाजोल 25 प्रतिशत ईसी, 200 मिली मात्रा को 250-300 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव किया जाए। 12-15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करते रहें। - बरतें सावधानी, बचाएं फसल
किसान फसल की नियमित निगरानी करें
वृक्षों के आस-पास उगाई फसल पर ज्यादा ध्यान दें
रोग का प्रकोप जनवरी-फरवरी में अधिक
फसल पर रसायन का छिड़काव वर्षा व कोहरे में न करें
कृषि वैज्ञानिकों से सलाह अवश्य लें -जानकारी के अभाव में नुकसान
कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो जानकारी के अभाव में फसल खराब हो जाती है। अगर किसान को समय पर रोग व उपचार संबंधी जानकारी समय पर मिल जाए तो फसल को रोग लगने से बचाया जा सकता है। अगर उन्हें समय पर बचाव संबंधी जानकारी मिल जाए तो फसल रोग की चपेट में आने से बचाया जा सकता है। - रक्षा रसायनों का हो समुचित प्रयोग
गेहूं की फसल को पीली गेरुई रोग से बचाने के लिए शासन भी सख्त है। प्रत्येक मंडल व जिले स्तर पर समिति गठित करने के निर्देश दिए गए हैं। कृषि रक्षा विभाग को जिले में व्यापक प्रचार-प्रसार करने, किसानों को जागरूक करने पर जोर दिया गया है। कृषि रक्षा रसायनों का समुचित व्यवस्था में प्रयोग करने पर जोर दिया गया है।
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इन्होंने कहा..
किसानों को गेहूं की फसल को रोग से बचाने के लिए टीमें जागरूक कर रही है। किसान फसल को रोग से बचाने के लिए नियंत्रण भी कर सकते हैं। विभाग से भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- अमर पाल ¨सह, जिला कृषि रक्षा अधिकारी।