बीडीए करेगा आइआइटी के डिजाइन पर काम
आइआइटी दिल्ली और जापानी वैज्ञानिकों के मैप के अनुसार शहर के कालाआम चौराहा को डवलप करने के काम की जिम्मेदारी बीडीए को मिली है। इस पर काम शुरू करने के लिए बीडीए के अफसर टेंडर प्रक्रिया करने जा रहे हैं। शहर के भीतर की सड़कों पर बढ़ती दुर्घटनाओं पर ब्रेक लगाने के लिए आइआइटी दिल्ली की टीम पिछले कई माह से काम कर रही है।
बुलंदशहर, जेएनएन। आइआइटी दिल्ली और जापानी वैज्ञानिकों के मैप के अनुसार शहर के कालाआम चौराहा को डवलप करने के काम की जिम्मेदारी बीडीए को मिली है। इस पर काम शुरू करने के लिए बीडीए के अफसर टेंडर प्रक्रिया करने जा रहे हैं। शहर के भीतर की सड़कों पर बढ़ती दुर्घटनाओं पर ब्रेक लगाने के लिए आइआइटी दिल्ली की टीम पिछले कई माह से काम कर रही है।
जापानी पैटर्न पर शहर के कालाआम चौराहा पर जेब्रा लाइन बनाया जाना है। इसमें पैदल यात्रियों के साथ ही कार और दोपहिया वाहनों को सुगमता से संचालन के लिए चौराहा पर काफी काम होना है। इस खास डिजाइन को आइआइटी वैज्ञानिकों की टीम ने छह माह के सर्वे और शोध के बाद डिजाइन किया है। इस डिजाइन को जमीनी स्तर पर लाने के लिए स्थानीय प्रशासन और बीडीए अफसरों की मीटिग हो चुकी है। इस पर अक्टूबर माह के दूसरे सप्ताह में काम शुरू होना था। लेकिन टेंडर न होने के कारण अब तक काम शुरू नहीं हुआ है। अब बीडीए के अफसर टेंडर करने की प्रक्रिया करने में जुटे हैं। टेंडर होते ही कालाआम चौराहा पर काम शुरू हो जाएगा। उम्मीद है, कि नवंबर के प्रथम सप्ताह में काम शुरू हो जाएगा। इसमें फुटपाथ, पथप्रकाश और रोड साइन की भी व्यवस्था होगी। इसके बाद शहर की सड़कों को सुधारने का काम शुरू किया जाएगा। तीन छोटे शहरों पर होगा काम
संयुक्त राष्ट्र संघ के विजन 2030 पर सड़क दुर्घटनाओं और प्रदूषण को कम करने के लिए आइआइटी दिल्ली के वैज्ञानिकों की टीम शहर के तीन छोटे शहरों पर काम कर रही है। इसमें नैनीताल, बुलंदशहर और पटियाला पर काम किया जा रहा है। आएंगे जापानी वैज्ञानिक
चौराहा डिजाइन होने के बाद जापानी वैज्ञानिकों की टीम एक बार बुलंदशहर पहुंचेगी और देखेगी, कि अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पास डिजाइन को ही धरातल पर उतारा गया है या नहीं। इन्होंने कहा.
टेंडर प्रक्रिया में देरी होने के कारण अभी तक काम पूरा नहीं हो पाया है। प्राधिकरण और प्रशासन को डिजाइन दे चुके हैं, इस पर काम बीडीए करेगा। इसको लेकर बीडीए अफसरों से बात भी हो चुकी है। नवंबर के पहले सप्ताह में काम शुरू हो जाएगा।
-समृद्ध सिंह चौहान, परियोजना वैज्ञानिक, आइआइटी दिल्ली