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हे दाता! कर्ज में डूबा अन्नदाता

सरकार की तमाम योजनाएं और दावे चाहे जो कहते हो, लेकिन हकीकत में जिले के अन्नदाता सरकारी कर्ज में दबे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Jan 2019 10:46 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jan 2019 10:46 PM (IST)
हे दाता! कर्ज में डूबा अन्नदाता
हे दाता! कर्ज में डूबा अन्नदाता

बुलंदशहर : सरकार की तमाम योजनाएं और दावे चाहे जो कहते हो, लेकिन हकीकत में जिले के अन्नदाता सरकारी कर्ज में दबे हैं। किसानों पर बैंकों का चार हजार करोड़ रुपये कर्ज है। तीन लाख 20 हजार किसानों ने केसीसी से कर्ज लिया है। जबकि पांच हजार से अधिक किसान भूमि विकास बैंक के कर्जदार हैं। गन्ने का भुगतान नहीं होने और फसलों का वाजिब दाम नहीं मिलने के किसान कर्ज भी नहीं चुका पा रहे हैं। किसानों से कर्ज वसूलने के लिए बैंक नोटिस भेज रहे हैं। किसान तकादे से और बैंक अधिकारी कर्ज वसूली न होने से परेशान हैं।

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किसानों को प्राइवेट लोगों से महंगी ब्याज दर पर कर्ज न लेना पड़े, इसलिए सरकार ने किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) जारी किए हुए हैं। केसीसी पर किसानों ने चार हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। यह ऋण एक साल में जमा करना होता है। लेकिन चालीस फीसद किसान इसे जमा नहीं कर पा रहे हैं। बैंकों के आंकड़े और किसानों का अनुपात देखें तो जिले का प्रत्येक किसान पर एक लाख रुपये से अधिक का कर्जदार है। बैंक किसानों को नोटिस भेज रहे हैं।

बैंकों के अलावा 264 करोड़ रुपये सहकारी समितियों का भी किसानों पर सरकारी कर्ज है। समितियों के कर्मचारी भी किसानों के घर जा रहे हैं। बैंक अधिकारियों का अनुमान है कि 40 फीसद कर्ज किसानों के पास ही फंस जाएगा।

वेव मिल पर 24 करोड़ का बकाया

किसानों का मिलों पर अब कोई खास बकाया नहीं रह गया है, जिसके भुगतान से बैंकों की कर्ज अदायगी की जाए। जिले की वेव शुगर मिल पर केवल 24 करोड़ रुपये बकाया है।

चालीस फीसद कर्ज अटकेगा

लीड बैंक मैनेजर सतपाल मेहता ने बताया कि बैंकों ने किसानों को चार हजार करोड़ रुपया कर्ज दिया है। सहकारी समितियों का कर्ज भी जोड़ लें तो ये कर्ज 4264 करोड़ रुपये हो जाता है। चालीस फीसद किसान समय से बैंक का कर्ज जमा नहीं कर पाते हैं इसलिए ब्याज चढ़ता जाता और फिर कर्ज का रुपया फंस जाता है। पहले बैंक नोटिस भेजता है और फिर घर पर कर्मचारी भेजा जाता है। सात फीसद ब्याज दर पर केसीसी पर कर्ज मिलता है। नियमित खाता चालू रहता है तो सरकार तीन फीसद सब्सिडी देती है। इस तरह ये ब्याज दर मात्र चार फीसद ही रह जाती है।

घाटे का सौदा साबित हो रही खेती

भाकियू के मंडल अध्यक्ष मांगेराम त्यागी ने बताया कि किसानों के लिए खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है। इसलिए किसानों की नई पीढ़ी खेती छोड़ अन्य काम कर रही है। सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के जो वायदे किए थे, वो खोखले साबित हुए।


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