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LokSabha Election 2019 : अब आंकड़ों में तलाश रहे हैं जीत-हार का फलसफा

बुलंदशहर में हुए लोकसभा चुनाव के बाद अब प्रत्याशी हार और जीत का आंकड़ा तलाशने में जुट गए हैं। यहां पर गुरुवार को 60.90 फीसद मतदान हुआ है।

By Ashu SinghEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 09:40 AM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 09:40 AM (IST)
LokSabha Election 2019 : अब आंकड़ों में तलाश रहे हैं जीत-हार का फलसफा
LokSabha Election 2019 : अब आंकड़ों में तलाश रहे हैं जीत-हार का फलसफा
बुलंदशहर, [मुकेश त्यागी]। दूसरे चरण के मतदान का अध्याय गुरुवार को बंद हो गया। रात के अंधेरे में ड्योढ़ी-ड्योढ़ी वोट मांगने वाले प्रत्याशी थोड़ा आराम करने के मूड में आ गए हैं, लेकिन प्रत्याशियों के योद्धा अब कागज-कलम लेकर हार जीत के गणित के साथ मैदान में उतर आए हैं। वहीं, पांचों विधानसभा क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत के उतार-चढ़ाव को लेकर प्रत्याशियों की सांसें भी हिचकोले ले रही हैं। जीत हार के लिए हर प्रत्याशी ने पूरी ताकत झोंक दी थी।
जीत का आशीर्वाद
कोई मतदाताओं की ड्योढ़ी पर जाकर जीत का आशीर्वाद ले रहा था तो कोई जातिगत गणित साधने में लगा था। इसके साथ ही प्रत्याशियों के योद्धाओं की नजर पिछले विधानसभा चुनाव में वोटों के प्रतिशत पर थी। हालांकि वर्ष-2017 में हुए विधानसभा चुनाव की तुलना में शिकारपुर को छोड़कर बाकी चार विधानसभा क्षेत्रों में मत प्रतिशत के ग्राफ में गिरावट आई है,जिसे सब अपनी-अपनी नजर से देख रहे हैं।
पहले चूल्हा जलने का इंतजाम,इसके बाद मतदान
मतदान में उत्साह दिखाकर लोगों ने लोकतंत्र के पर्व को उल्लास के साथ मनाया। कुछ मजदूरपेशा और किसानों ने मतदान तो किया लेकिन इससे पहले घर में चूल्हा जलाने का इंतजाम भी किया। इससे इतर तमाम लोगों ने मतदान के बाद खेती-किसानी के काम निपटाए। गेहूं की फसल पककर तैयार है। कुछ जगहों पर फसल की कटाई भी चल रही है। बुधवार शाम से देर रात तक रुक-रुककर हुई बारिश ने कटाई कार्य को प्रभावित किया है। फिर से मौसम खराब होने के आसार हैं। ऐसे में किसानों के साथ-साथ मजदूर भी चिंतित हैं।

खेतों में बहाया पसीना
गुरुवार को सुबह से ही लोग मतदान केंद्रों का रुख करने लगे। वहीं, ऊंचागांव, खानपुर, लखावटी आदि क्षेत्र के जंगलों में किसान और मजदूर खेतों में पसीना बहाते नजर आए। अकबरपुर के जंगल में अपनी तीन पुत्रियों संग गेहूं की फसल काट रही फरजाना ने बताया कि उनके परिवार में आठ सदस्य हैं। मजदूरी करके परिवार चलाते हैं।यदि पहले मतदान करते तो पकी फसल के बारिश में खराब होने का जोखिम है। इसलिए पहले काम निपटा रहे हैं। इसके बाद मतदान करेंगे। उनका कहना है, कोई जीते या हारे, परिवार के पेट का इंतजाम करने कोई नहीं आएगा।
काम जितना जरूरी,मतदान भी उतना ही महत्वपूर्ण
तमाम लोग ऐसे भी थे जिन्होंने पहले वोट डाला,इसके बाद खेत में काम किया। दानपुर क्षेत्र के दौलतपुर गांव में शिवरन शास्त्री, सचिन कुमार व अंशू शर्मा आदि भूसे की गठरी बांधने में व्यस्त दिखे। उन्होंने बताया कि प्रत्येक के परिवार में चार से छह वोट हैं। कुछ लोग सुबह वोट डालकर आ गए और शेष दोपहर बाद मतदान करेंगे। काम जितना जरूरी है, मतदान भी उतना ही जरूरी है। पांच साल में एक बार वोट डालते हैं,फसल तो हर साल काटनी है। 

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