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कोरोना जांच कराने वालों से स्वयं बात करेंगे एसीएमओ

स्वास्थ्य विभाग में हुए रैपिड एंटीजन किट घोटाले में जांच करने वाले लैब टेक्नीशियन और मास्टरमाइंड फार्मासिस्ट के स्पष्टीकरण से जांच अधिकारी संतुष्ट नहीं है क्योंकि रैपिड एंटीजन किट बाजार में बेची भी गईं और निजी पैथोलाजी लैब पर सरकारी किट से जांच भी हुई। घोटाले की तह तक जाने के लिए जांच अधिकारी अब लाभार्थियों से स्वयं जांच करेंगे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 05:02 PM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 05:02 PM (IST)
कोरोना जांच कराने वालों से स्वयं बात करेंगे एसीएमओ
कोरोना जांच कराने वालों से स्वयं बात करेंगे एसीएमओ

जेएनएन, बुलंदशहर। स्वास्थ्य विभाग में हुए रैपिड एंटीजन किट घोटाले में जांच करने वाले लैब टेक्नीशियन और मास्टरमाइंड फार्मासिस्ट के स्पष्टीकरण से जांच अधिकारी संतुष्ट नहीं है क्योंकि रैपिड एंटीजन किट बाजार में बेची भी गईं और निजी पैथोलाजी लैब पर सरकारी किट से जांच भी हुई। घोटाले की तह तक जाने के लिए जांच अधिकारी अब लाभार्थियों से स्वयं जांच करेंगे।

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मई से अक्टूबर माह तक कोरोना की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग ने रैपिड एंटीजन किट से अधिक संख्या में जांच की। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की कई टीमें लगी। गुमनाम पत्र के मुताबिक सीएमएसडी स्टोर के इंचार्ज एवं चीफ फार्मासिस्ट जगदीश तेवतिया, मनोज चौधरी के साथ ही लैब टेक्नीशियन हिमांशु गुप्ता, लोकेश कुमार, दीपक चौहान, गौरव गौड़ और राजेश कुमार से जांच अधिकारी एसीएमओ डा. नरेश गोयल ने स्पष्टीकरण मांगा। रिमाइंडर भेजने के बाद इन्होंने अपना स्पष्टीकरण लिखित में दिया लेकिन सभी ने अपनी गर्दन घोटाले के मामले से बचाते हुए खुद को निर्दोष बताकर स्पष्टीकरण दिया। इनके स्पष्टीकरण से जांच अधिकारी संतुष्ट नहीं हैं क्योंकि जांच रजिस्टर में दर्ज लोगों के मोबाइल नंबर जांच में फर्जी एंट्री होने की पुष्टि कर रहे हैं। आम लोगों की जांच के लिए आईं सरकारी रैपिड एंटीजन किट के घपले की चर्चा पूरे विभाग में हो रही है। अब प्रशासन के अधिकारी भी इस पर नजर रख रहे हैं। गुमनाम पत्र से शिकायत करने वाले विभागीय कर्मचारी ने दो से तीन करोड़ रुपये का घोटाला होने का अंदेशा जताया है। वेतन 35 हजार और लग्जरी कार

-जिला क्षय रोग विभाग और एनआरएचएम समेत स्वास्थ्य विभाग के कई लैब टेक्नीशियन की गर्दन रैपिड एंटीजन किट घपले में फंस रही है। हालांकि इसमें एक-दो लैब टेक्नीशियन दबी जुबान मास्टरमाइंड फार्मासिस्ट का नाम ले रहे हैं। एक अधिकारी ने बताया कि संविदा के लैब टेक्नीशियन का वेतन 20 से 35 हजार के बीच है, लेकिन अधिकांश लग्जरी कार चला रहे हैं। इन्होंने कहा

किसी भी मामले में जब आरोपित से बात करते हैं तो वह इंकार ही करता है। स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं हैं। धरातलीय जांच करेंगे। कार्रवाई होगी। दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा। घोटाले का मास्टरमाइंड हमे गुमराह भी कर रहा है।

डा. नरेश गोयल-एसीएमओ


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