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87 बलवाइयों में कौन है कोतवाल का कातिल!

स्याना बवाल को सात दिन हो गए हैं, लेकिन एसआइटी अभी तक यह तय नहीं कर पाई है कि आखिर कोतवाल को किस बलवाई ने गोली मारी थी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Dec 2018 11:21 PM (IST)Updated: Sun, 09 Dec 2018 11:21 PM (IST)
87 बलवाइयों में कौन है कोतवाल का कातिल!
87 बलवाइयों में कौन है कोतवाल का कातिल!

मुकेश त्यागी, बुलंदशहर

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स्याना बवाल को सात दिन हो गए हैं, लेकिन एसआइटी अभी तक यह तय नहीं कर पाई है कि आखिर कोतवाल को किस बलवाई ने गोली मारी थी। हालांकि पुलिस ने 87 लोगों को बवाल, आगजनी, कातिलाना हमला व हत्या का आरोपित बना रखा है, जिसमें 60 अज्ञात बलवाई शामिल हैं, लेकिन पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि भीड़ में शामिल किसी बलवाई की शिनाख्त वह कोतवाल की हत्यारोपित के रूप में करेगी?

तीन दिसंबर को ¨चगरावठी पुलिस चौकी के पास हुई खूनी ¨हसा में स्याना कोतवाल सुबोध कुमार ¨सह की .32 बोर की गोली लगने से मौत हो थी और बलवाइ कोतवाल की लाइसेंसी पिस्टल भी लूट कर ले गए। इसी बोर की गोली से सुमित की भी मौत हो गई थी। दारोगा सुभाष चंद की तहरीर पर स्याना कोतवाली पुलिस ने 27 बलवाइयों को नामजद करते हुए 60 अज्ञात बलवाइयों पर मुकदमा दर्ज कर रखा है, जिसमें पुलिस ने बजरंग दल के जिला संयोजक योगेश राज को मुख्य आरोपित बना रखा है और पुलिस ने यह मान कर जांच शुरू कर दी थी कि कोतवाल की हत्या का मुख्य आरोपित योगेश राज है, लेकिन समय के साथ पुलिस की आवाज बदल गई और एक वीडियो के आधार पर पुलिस जीतू फौजी को कोतवाल की हत्या का आरोपित मानने लगी, लेकिन जीतू की गिरफ्तारी के बाद पुलिस के दावों की भी हवा निकल गई, क्योंकि जिस वीडियो में एक युवक कोतवाल के पास खड़ा दिखाई दे रहा है, पुलिस उसे जीतू मान रही थी, लेकिन जीतू की गिरफ्तारी के बाद पुलिस अधिकारियों ने जब वीडियो में शामिल युवक का मिलान जीतू की कद काठी से किया तो अधिकारियों के सुर बदल गए और जीतू को भीड़ में शामिल व उकसाने की बात करने लगे। हालांकि कोतवाल की हत्या के आरोपित की शिनाख्त के लिए पुलिस एक दर्जन से अधिक वीडियो को देख चुकी है, लेकिन पुलिस अभी यह तय नहीं कर पाई है कि कोतवाल को एक बलवाइ ने गोली मारी थी या फिर 87 बलवाइयों ने? क्योंकि पुलिस की एफआइआर में सभी बलवाइयों पर आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 124 (ए), 332, 333, 353, 341, 336, 307, 302, 427, 436, 395, अपराधिक कानून अधिनियम 7 व सार्वजनिक संपत्ति निवारण अधिनियन 3/4 के तहत मुकदमा दर्ज है। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या कोतवाल को गोली मारने वाले सभी बलवाई है? या फिर किसी एक ने गोली मारी थी? अगर पुलिस कोतवाल को गोली मारने वाले बलवाई की शिनाख्त में नाकाम रहती है तो पुलिस को न्यायालय में भी सभी बलवाइयों पर 302 की धारा साबित करने के लिए एड़ीचोटी के जोर लगाने पड़ सकते हैं? फिलहाल एसआईटी की विवेचना जारी है और अभी कई बलवाइयों का पकड़ा जाने शेष है।

-सुमित के पिता की तहरीर पर पुलिस ने क्यों दर्ज नहीं किया मुकदमा

स्याना बवाल में कोतवाल की हत्या का मुकदमा तो पुलिस ने दर्ज कर लिया है, लेकिन सात दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस ने सुमित के पिता की तहरीर पर अभी तक हत्या का मुकदमा दर्ज नहीं किया है, जबकि घटना के अगले दिन सुमित के पिता अमरजीत ने बेटे की हत्या के आरोपित पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज कराने के लिए तहरीर दी थी। अमरजीत ने इसे पुलिस की एक तरफा कार्रवाई बताते हुए कहा है कि अगर पुलिस अधिकारियों ने बेटे की हत्या का मुकदमा दर्ज नहीं किया तो वह आला अधिकारियों से लेकर मानवाधिकार आयोग में पुलिस अधिकारियों की मनमानी की शिकायत करेंगे।

-पुलिस भी फंसेगी हत्या के आरोप में

जीतू फौजी के अधिवक्ता संजय शर्मा ने बताया कि पुलिस अधिकारियों ने कोतवाल सुबोध कुमार ¨सह की हत्या के आरोप में कई बलवाइयों को नामजद किया है, लेकिन पुलिस ने अभी तक सुमित की हत्या का मुकदमा दर्ज नहीं किया, जो न्याय संगत नहीं है, क्योंकि अगर पुलिस ने अपने जाबांज कोतवाल खोया है तो एक पिता ने अपना बेटा भी खोया। कानून दोनों पक्षों के लिए एक जैसा है। अगर पुलिस अधिकारी सुमित के पिता की तहरीर पर मुकदमा दर्ज नहीं करते है तो वे कोर्ट के माध्यम से दोषी पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज कराएंगे।


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