सात दशक पुराना गांधी म्युनिस्पल लाइब्रेरी बदहाल
लाइब्रेरी के जीर्णोद्वार के लिए शीघ्र बजट बनाकर प्रस्ताव बोर्ड बैठक में रखा जाएगा। जीर्णोद्धार के बाद निजी संस्था को संचालित करने के लिए सौपा जाएगा। ताकि लाइब्रेरी का लाभ आमजन को मिल सके।
सिकंदराबाद: पालिका प्रशासन की अनदेखी के कारण सात दशक पुराना महात्मा गांधी म्युनिस्पल लाइब्रेरी बद से बदहाल हो गई है। लाइब्रेरी में न तो पढ़ने को न्यूज पेपर और न ही पुस्तकें हैं। लाइब्रेरी में कुर्सियां टूटी पड़ी हैं और कबूतरों ने अपना आशियाना बना लिया।
नगरपालिका प्रशासन ने मोहल्ला काजीवाड़ा गांधी म्युनिस्पल लाइब्रेरी की स्थापना उस दौर में की थी जब देश में होने वाली गतिविधियों को जाने के लिए केवल अखबार माध्यम था। 26 मार्च वर्ष 1951 को आगरा-मेरठ मंडल के कमिश्नर आरपी भार्गव ने चेयरमैन जतन स्वरूप भटनागर की अध्यक्षता में हुआ था। इसका शिलापट आज भी लाइब्रेरी के मुख्य गेट पर अंकित है। लोग बताते हैं कि लाइब्रेरी में उस समय हिदी, अंग्रेजी, उर्दू भाषा के समाचार पत्र व किताबें उपलब्ध होती थी। देश व प्रदेश की गतिविधियों को जाने के लिए नगर समेत आसपास के लोग सुबह और शाम लाइब्रेरी में समाचार पत्रों को पढ़ने आते थे। बाद में लाइब्रेरी में विभिन्न प्रख्यात काव्य, आलोचकों के साथ अन्य पुस्तकें मुहैया कराई गई।
दस वर्ष से पालिका की अनदेखी से कारण सात दशक पुरानी लाइब्रेरी बद से बदहाल हो गई। न तो लाइब्रेरी में न्यूज पेपर उपलब्ध हो पाते और पुराने संग्रहित पुस्तके भी गायब हो गई। न पंखा है और न लाइट, फर्नीचर भी टूट गया है। केवल लाइब्रेरी अब कबूतरों का घर बना हुआ है। जबकि देखरेख के लिए पालिका की ओर से एक कर्मी नियुक्ति है। हालांकि पालिका द्वारा लाइब्रेरी जीर्णोद्धार के लिए कई बार योजना बनाई गई, लेकिन वह कागजों में ही कैद रह गई। इन्होंने कहा..
लाइब्रेरी के जीर्णोद्धार के लिए शीघ्र बजट बनाकर प्रस्ताव बोर्ड बैठक में रखा जाएगा। जीर्णोद्धार के बाद निजी संस्था को संचालित करने के लिए सौंपा जाएगा। ताकि लाइब्रेरी का लाभ आमजन को मिल सके।
संजीवनराम यादव, ईओ
नगरपालिका, सिकंदराबाद
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप