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प्रशासन की बेरुखी कदम न पाई रोक,नाव से गंगा पार कर डाला वोट

मंडावर (बिजनौर) जिला मुख्यालय से तीस किमी दूर गंगा पार गांव इच्छावाला के ग्रामीणों की इच्छा ने कमजोर व्यवस्था को आइना दिखाया। मतदान केंद्र बनाने में नाकाम जिला प्रशासन की बेरुखी के बाद भी उनके उत्साह में कमी नहीं दिखी। गुरुवार के प्रथम चरण के चुनाव में वोटर नाव से गंगा पार कर आठ किमी दूर गांव राजारामपुर वोट डालने आए।

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Apr 2019 10:49 PM (IST)Updated: Thu, 11 Apr 2019 10:49 PM (IST)
प्रशासन की बेरुखी कदम न पाई रोक,नाव से गंगा पार कर डाला वोट
प्रशासन की बेरुखी कदम न पाई रोक,नाव से गंगा पार कर डाला वोट

मंडावर (बिजनौर)

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जिला मुख्यालय से तीस किमी दूर गंगा पार गांव इच्छावाला के ग्रामीणों की इच्छा ने कमजोर व्यवस्था को आइना दिखाया। मतदान केंद्र बनाने में नाकाम जिला प्रशासन की बेरुखी के बाद भी उनके उत्साह में कमी नहीं दिखी। गुरुवार के प्रथम चरण के चुनाव में वोटर नाव से गंगा पार कर आठ किमी दूर गांव राजारामपुर वोट डालने आए।

मंडावर थाना क्षेत्र के गांव चाहड़वाला के पास गंगा पार गांव इच्छावाला है। यह गांव गंगा पार उत्तराखंड के समीप में बसा है।

सरकारी सुविधा से दूर इस गांव में सात सौ मतदाता है। गुरुवार को प्रथम चरण के चुनाव में इस गांव का मतदान केंद्र आठ किमी दूर गांव राजा रामपुर में बनाया गया था। गुरुवार को सैकड़ों महिला-पुरुष मतदाता नाव से गंगा पार कर आए। इसके बाद उन्हें गंगा का कुछ हिस्सा पैदल भी पार करना पड़ा। उनका कहना है कि उनके गांव में दशकों से कोई सुविधा नहीं पहुंच पाई है। गांव में मतदानस्थल बना दिया जाता तो बच्चों व महिलाओं को जान खतरे में डालकर नहीं आना पड़ता। ग्रामीण सरवर, गरीना, हनीफ, नसीमुद्दीन, अशरफ, सफीना आदि का कहना है कि उनकी कहीं भी सुनवाई नहीं होती है। अपना वोट का अधिकार इस्तेमाल करने के लिए उन्हें आठ किमी की दूरी तय कर यहां आना पड़ा रहा है। ग्राम प्रधान गुल सनोवर ने बताया कि पिछले बार भी उन्होंने गांव में मतदान स्थल बनाने की मांग की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

प्रत्याशी आया न सरकारी सिस्टम

सात सौ से अधिक आबादी वाले गांव इच्छावाला के ग्रामीणों की बदकिस्मती देखिए। चुनाव प्रचार के दौरान यहां न कोई प्रत्याशी आया और न ही किसी सरकारी कर्मचारी ने दर्शन दिए। एक बार भी किसी प्रत्याशी व समर्थक ने उनसे वोट नहीं मांगे। जिला प्रशासन की ओर भी बातचीत के लिए गांव नहीं पहुंचा। फिर भी वह अपने मत का प्रयोग करने के लिए आठ किमी आए हैं।


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