यूपी-उत्तराखंड सीमा पर बंद कर करें परिषदीय स्कूल
कहीं-कहीं दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में शिक्षा का ढर्रा पूरी तरह बिगड़ा पड़ा है। यूपी-उत्तराखंड सीमा पर तो बहुत बुरा हाल है। बेसिक शिक्षा विभाग के चार में से एक विद्यालय ऐसा है जहां छात्र संख्या दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पा रही है।
बिजनौर, जेएनएन। कहीं-कहीं दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में शिक्षा का ढर्रा पूरी तरह बिगड़ा पड़ा है। यूपी-उत्तराखंड सीमा पर तो बहुत बुरा हाल है। बेसिक शिक्षा विभाग के चार में से एक विद्यालय ऐसा है, जहां छात्र संख्या दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पा रही है। तीन विद्यालयों में छात्र संख्या 15 या उससे कुछ अधिक तो है, लेकिन शिक्षकों की तैनाती को देखते हुए व्यवस्था पर सवालिया निशान लग जाता है। शिक्षा विभाग की ढुलमुल व्यवस्थाओं के खिलाफ ग्राम प्रधान ने मोर्चा खोलते हुए मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की। ग्राम प्रधान ने मोटाढाक में दोनों परिषदीय विद्यालय बंद करने की अपील कर दी है।
यूपी-उत्तराखंड सीमा पर स्थित ग्राम पंचायत मोटाढाक के प्राथमिक विद्यालय में छात्र संख्या 10 से कम है, जबकि यहां दो शिक्षक व एक शिक्षामित्र तैनात है। जूनियर हाईस्कूल मोटाढाक में छात्र संख्या भले ही 15 तक पहुंची, लेकिन दो शिक्षकों की तैनाती व्यवस्था पर सवाल खड़ा करती है। ऐसे ही प्राथमिक विद्यालय चतरूवाला में छात्र संख्या 15 से कम है, लेकिन यहां भी दो शिक्षक तैनात हैं। देवेंद्रनगर कौड़िया में छात्र संख्या 40 के आसपास है। यहां भी दो शिक्षक एवं एक शिक्षामित्र तैनात हैं। इस ढुलमुल व्यवस्था के खिलाफ ग्राम प्रधान मनमोहन दुदपुड़ी ने करीब दो महीने पहले सीएम पोर्टल पर शिकायत करते हुए ऐसे विद्यालयों को खत्म करने की अपील की थी।
-अधिकारी करा चुके हैं सर्वे
शिकायत के बाद अधिकारियों ने क्षेत्र का सर्वे कराया। पता चला कि सीमित आबादी वाले क्षेत्र में छह से 14 वर्ष तक के बच्चे नहीं हैं, जिनका स्कूलों में पंजीकरण कराया जा सके। ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि कम छात्र संख्या पर भी दो-दो शिक्षक और शिक्षामित्रों का स्टाफ आखिर क्यों लगाया गया है।
-इनका कहना है
ग्राम प्रधान की शिकायत के संबंध में सर्वे कराकर रिपोर्ट भेज दी गई है। स्कूल बंद करने अथवा संचालित करने का निर्णय शासन का होगा। कहीं छात्र संख्या कम है और शिक्षक अधिक हैं, तो इसके संबंध में भी शासन को ही निर्णय लेना है।
-इशक लाल, बीईओ नजीबाबाद