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चिकित्सक से मारपीट के विरोध में हड़ताल, ओपीडी ठप

हादसे में गर्भवती व उसके बच्चे की मौत के बाद शवों के पोस्टमार्टम में देरी को लेकर विधायक पति द्वारा चिकित्सक से कथित मारपीट के विरोध में जिलेभर के सरकारी अस्पतालों में हड़ताल रही।

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 Oct 2019 11:34 PM (IST)Updated: Mon, 14 Oct 2019 11:34 PM (IST)
चिकित्सक से मारपीट के विरोध में हड़ताल, ओपीडी ठप
चिकित्सक से मारपीट के विरोध में हड़ताल, ओपीडी ठप

बिजनौर, जेएनएन : हादसे में गर्भवती व उसके बच्चे की मौत के बाद शवों के पोस्टमार्टम में देरी को लेकर विधायक पति द्वारा चिकित्सक से कथित मारपीट के विरोध में जिलेभर के सरकारी अस्पतालों में हड़ताल रही। चिकित्सकों ने ओपीडी सेवा ठप कर दी। हड़ताल से इमरजेंसी सेवा व पोस्टमार्टम को बाहर रखा है। हड़ताल में प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ से संबद्ध चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सम्मिलित हुए। रोगियों एवं तीमारदारों को परेशानी का सामना करना पड़ा। चिकित्सा संघ का कहना था कि मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट के तहत कार्रवाई होने तक उनकी हड़ताल जारी रहेगी।

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रविवार को सड़क दुर्घटना में गर्भवती महिला व उसके बच्चे की मौत के बाद दोनों शवों के पोस्टमार्टम को लेकर डाक्टर और ग्रामीणों में विवाद हो गया था। इस बीच सदर विधायक सुचि चौधरी के पति एवं भाजपा नेता ऐश्वर्य चौधरी उर्फ मौसम अपने समर्थकों के साथ पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे थे। डाक्टर और भाजपा नेता में कहासुनी हो गई। आरोप है कि विधायक पति एवं उनके समर्थकों ने ड्यूटी पर तैनात नेत्र सर्जन डा. रजनीश शर्मा एवं फार्मासिस्ट अचल शर्मा के साथ मारपीट भी की। घटना के विरोध में रविवार शाम प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के अध्यक्ष जिला क्षय रोग अधिकारी डा. बीएस रावत के नेतृत्व में चिकित्सकों का एक प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी से मिला था। डीएम ने कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। सोमवार सुबह तक कार्रवाई नहीं होने पर चिकित्सकों, फार्मासिस्ट, स्टाफ नर्स एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने स्वास्थ्य सेवाएं ठप कर हड़ताल शुरू कर दी। जिला अस्पताल के गेट पर धरना देकर बैठ गए।

11 पीएचसी, 11 सीएचसी व 43 उपस्वास्थ्य केंद्र ठप

जिलेभर की सभी 11 पीएचसी, 11 सीएचसी एवं 43 उप स्वास्थ्य केंद्रों पर मरीज हलकान रहे। अकेले जिला अस्पताल में ही प्रतिदिन एक हजार से 12 सौ नये पर्चे बनाए जाते हैं। करीब इतने ही मरीज प्रतिदिन पुराने भी पहुंचते हैं। सभी अस्पतालों को मिलाकर इस प्रकार जिलेभर में करीब दस हजार से अधिक मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा।


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