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बैंड और शंख बजाकर मजबूत कर लिए फेफड़े

कोरोना संक्रमण ने अनगिनत जानें ही नहीं लीं बल्कि लोगों की रोजी-रोटी भी छीन ली। इन लोगों की कतार में बैंड-बाजे वाले भी खड़े दिखाई देते हैं। गनीमत रही कि कंठ और फेफड़े मजबूत होने से अधिकांश बैंड-बाजे वाले कोरोना संक्रमण से बचे रहे। वहीं जानकार शंख बजाने की प्रक्रिया को भी इसी नजर से देखते हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Jun 2021 11:00 AM (IST)Updated: Sat, 19 Jun 2021 11:00 AM (IST)
बैंड और शंख बजाकर मजबूत कर लिए फेफड़े
बैंड और शंख बजाकर मजबूत कर लिए फेफड़े

जेएनएन, बिजनौर। कोरोना संक्रमण ने अनगिनत जानें ही नहीं लीं, बल्कि लोगों की रोजी-रोटी भी छीन ली। इन लोगों की कतार में बैंड-बाजे वाले भी खड़े दिखाई देते हैं। गनीमत रही कि कंठ और फेफड़े मजबूत होने से अधिकांश बैंड-बाजे वाले कोरोना संक्रमण से बचे रहे। वहीं, जानकार शंख बजाने की प्रक्रिया को भी इसी नजर से देखते हैं।

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नजीबाबाद और आसपास के क्षेत्र में दर्जनभर बैंड पार्टी हैं। चौक बाजार क्षेत्र की बैंड पार्टी ग्रेट बाबू बैंड के संचालक नाजिम हुसैन बताते हैं कि उनकी बैंड पार्टी में 10 सदस्य हैं। इनमें चार ब्रास पाइपर बजाते हैं। कोरोनाकाल में सभी को आर्थिक संकट झेलना पड़ा। यह अलग बात है कि हमने मास्क लगाया, ज्यादा भीड़ के बीच नहीं गए। कोरोना से बचाव के तरीके अपनाए, लेकिन हमें इतना पता है कि ब्रास पाइपर बजाने में सांस का काम होता है और इसमें ताकत बहुत लगती है। जिससे हमारे गले और पेट की नसें मजबूत होती हैं। फेफड़ों में भी काफी जान होती है। वहीं, बाबू बैंक के सदस्य सोनू बताते हैं कि बैंड-बाजा खुशी के मौके पर पर बजाया जाता है। उस समय बैंड पार्टी के सदस्य भी जोश में रहकर पूरी ताकत झोंकते हैं, ताकि उनका काम अव्वल नजर आए। जिससे उनके पसीने छूट जाते हैं और पूरे शरीर की नसों की कसरत हो जाती है। इससे वह बीमारी से बचे रहते हैं। शंख बजाना भी स्वास्थ्यवर्धक प्रक्रिया

महामृत्युंजय शिव मंदिर के पुजारी पंडित सुनील ध्यानी, श्री सिद्धि विनायक मंदिर के पुजारी पंडित जितेंद्र डबराल, गायत्री शक्तिपीठ के साधक हरीश शर्मा बताते हैं कि शंख बजाने के लिए पहली गहरी सांस लेनी होती है। फिर उस सांस को रोककर रखना होता है। इस बीच पेट की ताकत लगाकर शंख फूंका जाता है। इससे आध्यात्मिक शक्ति का विकास तो होता ही है, कंठ और फेफड़े भी मजबूत होते हैं। इनका कहना है

वह प्रक्रिया जिसमें गहरी सांस लेने के साथ गले और फेफड़ों का वाजिब इस्तेमाल होता है, निश्चित ही कोरोना संक्रमण से लड़ने में कारगर साबित होती है। इसमें ब्रास पाइपर बजाने वालों के साथ गायन विधा से जुड़े लोग भी शामिल हो सकते हैं। वैज्ञानिक और धार्मिक ²ष्टि से शंख बजाने से फेफड़े मजबूत होते हैं और नमाज के दौरान सजदे में जाने से आक्सीजन का स्तर बढ़ता है।

-डा.फारुक अंसारी, नाक-कान-गला रोग विशेषज्ञ नजीबाबाद।


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