डा. अख्तर सादगी से दे रहे समाजिक बुराइयों से दूर रहने का मंत्र
वर्तमान दौर में भी जब लोगों बेटी और बेटी में फर्क समझा जाता है। बेटियां बेटों के मुकाबले आज भी अशिक्षित ही है। गरीब वर्ग के लोग आज भी अपने अधिकारों से वंचित है। उन्हें मूलभूत सुविधाओं के बगैर ही जीवन यापन करना पड़ता है।
बिजनौर, जेएनएन। वर्तमान दौर में भी जब लोगों बेटी और बेटी में फर्क समझा जाता है। बेटियां बेटों के मुकाबले आज भी अशिक्षित ही है। गरीब वर्ग के लोग आज भी अपने अधिकारों से वंचित है। उन्हें मूलभूत सुविधाओं के बगैर ही जीवन यापन करना पड़ता है। जब लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं और समाज में बराबरी जैसे मूल अधिकारों से दूर देखता हूं तो मन विचलित हो जाता है। हमने अपना संविधान तो बना लिया लेकिन यह आज तक पूरी तरह लागू नहीं हो सका। संविधान में दिए गए अधिकारों से आम जन आज भी वंचित है। छुआछूत, जाति और धर्म के नाम पर भेदभाव है। मेरा प्रयास है कि लोग अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति जागरूक हो। यह विचार मध्यवर्गीय परिवार में जन्में निकटवर्ती ग्राम खारी निवासी पेशे से आयुर्वेदिक चिकित्सक डा. अख्तर हुसैन अंसारी के है।
लोगों को जागरूक करने में डा. अख्तर हुसैन अंसारी का कोई सानी नहीं है। करीब 60 वर्ष की आयु भी उनके बुलंद इरादे से कोई उन्हें विचलित नहीं कर सका। है। साधारण कपड़े, पैरों में सामान्य सी चप्पल पहनकर पैदल घूमते डा. अख्तर हुसैन अंसारी को देखकर कोई इनके बुलंद इरादों का सहज अनुमान नहीं लगा सकता, लेकिन अपने बुलंद इरादों दम पर इन्होंने अख्तर यानि ऊंचा मुकाम हासिल कर लिया है। दरियादिल डा. अंसारी ने शुरुआत में गरीबों लोगों को निश्शुल्क दवा देनी शुरू कर दी। स्कूलों में जाकर बच्चों को स्वच्छ एवं स्वास्थ्य रहने का पाठ पढ़ाने लगे। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने गरीबों को निशुल्क दवा देना जारी रखा। समाजसेवा का शौक लगा तो उन्होंने चाक को हथियार बना लिया। अब तो उन्हें दीवारों पर संदेश लिखने का जैसे जुनून सवार हो गया है। मतदान के प्रति जागरुक करने, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, जल बचाओ-पेड़ लगाओ, दुपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट पहनें, गन्ने से भरी ट्रैक्टर-ट्राली एवं भैंसा बुग्गियों पर रिफलेक्टर लगाने, तम्बाकू के छोड़ने, पॉलीथिन के इस्तेमाल से दूर रहे एवं सामाजिक बुराइयों से दूर रहने जैसे स्लोगन लिखते डा. अंसारी कहीं भी दिखाई दे जाते है। उनका कहना है कि दूसरों की सेवा कर उन्हें परम आनंद की अनुभूति होती है। मानसिक सुख प्राप्त होता है। वह जीवन भर चाक के माध्यम से लोगों को संदेश देते रहेंगे। उनका कहना है राष्ट्रीय सम्पत्ति की दुर्दशा देख कर मन दुखी होता है। उन्हें दुख नहीं कि आज तक किसी भी सरकारी संस्था द्वारा सम्मानित नहीं किया गया। अलबत्ता रोटरी क्लब मुरादाबाद, रोटरी क्लब बिजनौर, नेहरू युवा केंद्र एवं डीएम बिजनौर ने उन्हें अवश्य ही सम्मानित किया।