संक्रमित होने पर भी सेवा धर्म नहीं भूलीं सिस्टर अनमेरिया
यूं तो चिकित्सक को धरती का भगवान कहा जाता है मगर यह भी सच है कि नर्स की सेवाएं भी किसी मायने में चिकित्सक से कम नहीं होतीं। यह साबित कर दिखाया है सिस्टर अनमेरिया ने। खुद कोरोना पीड़ित होने के बावजूद सिस्टर अनमेरिया ने 150 कोरोना पीड़ितों की जानें बचाई हैं।
बिजनौर, जेएनएन। यूं तो चिकित्सक को धरती का भगवान कहा जाता है, मगर यह भी सच है कि नर्स की सेवाएं भी किसी मायने में चिकित्सक से कम नहीं होतीं। यह साबित कर दिखाया है सिस्टर अनमेरिया ने। खुद कोरोना पीड़ित होने के बावजूद सिस्टर अनमेरिया ने 150 कोरोना पीड़ितों की जानें बचाई हैं।
प्रेमधाम आश्रम में एक महीना पहले कोरोना संक्रमण फैल गया था। आश्रम संचालकों समेत आश्रम में रहने वाले सभी सदस्य इसकी चपेट में आए। शारीरिक और मानसिक रूप से अस्वस्थ विभिन्न आयु वर्ग के लोग अपनी परेशानी बता पाने में सक्षम नहीं थे। आश्रम संचालक फादर शिबू थामस ने जांच कराई तो आश्रम में कोरोना संक्रमण फैलने का पता चला था। आश्रम में रह रहे 150 से अधिक निशक्तजनों की सेवा कर रहीं सिस्टर अनमेरिया भी कोरोना पाजिटिव निकलीं। आनन-फानन में सभी सदस्यों को होम आइसोलेट कर दिया गया, लेकिन सिस्टर अनमेरिया ने एहतियात बरतते हुए सेवाकार्य जारी रखा। उन्होंने एक नर्स का दायित्व निभाते हुए आश्रमवासियों में ऐसी जान फूंकी कि एक महीने बाद आश्रम के सभी सदस्य स्वस्थ हो गए। अब भले ही आश्रम में कोई कोरोना पाजिटिव नहीं है, लेकिन सिस्टर अनमेरिया की सेवाएं जारी हैं। छुट्टी पर चली गई थीं दो सहयोगी
केरल निवासी सिस्टर अनमेरिया आश्रम में छह महीने से हैं। उनसे पहले से सिस्टर अंसीना, सिस्टर सुशीला आश्रम को सेवाएं दे रही थीं। संयोग से वे अप्रैल की शुरुआत में केरल चली गई थीं। आश्रम में कोरोना बम फूटा तो सिस्टर अनमेरिया ने फादर बेनी और सिस्टर रुबीना के साथ मोर्चा संभाला। नहीं पड़ी आक्सीजन की जरूरत
जहां पूरे देश में आक्सीजन को लेकर त्राहि-त्राहि मची है, वहीं सिस्टर अनमेरिया की सेवा के आगे कहर बरपाती कोरोना महामारी नतमस्तक हो गई। संचालक फादर शिबू थामस ने बताया कि आपात स्थिति के लिए चार आक्सीजन सिलेंडरों की व्यवस्था कर रखी थी, लेकिन सिस्टर अनमेरिया ने निशक्त शरीरों में ऐसी जान फूंकी कि वैकल्पिक आक्सीजन की आवश्यकता ही नहीं पड़ी।