रोजे का फलसफा----
बिजनौरजेएनएन। रहमतों का पाक महीना रमजान अब पूरा होने को है। ईद करीब आ रही है। रमजान का पूरे साल रोजेदारों को इंतजार रहता है। यह महीना खुदा के करीब आने और उसके बताए रास्ते पर चलने का अवसर देता है। अल्लाह के बताए रास्ते पर चलने से ही जिदगी में तरक्की मिलती है।
कोरोना संक्रमण में इंसानियत दिखाएं
बिजनौर,जेएनएन। रहमतों का पाक महीना रमजान अब पूरा होने को है। ईद करीब आ रही है। रमजान का पूरे साल रोजेदारों को इंतजार रहता है। यह महीना खुदा के करीब आने और उसके बताए रास्ते पर चलने का अवसर देता है। अल्लाह के बताए रास्ते पर चलने से ही जिदगी में तरक्की मिलती है। रोजा हमें न सिर्फ अपने ऊपर नियंत्रण करना सिखाता है, बल्कि दूसरों की मदद करने की सीख देता है।
इस बार का रमजान पिछले सालों से बदला हुआ नजर आया है। कोविड-19 की वजह से जीवन में पहली बार ऐसा मौका देखने को मिला है, जिसमें रमजान के दौरान गली, मोहल्ले और मस्जिदें सूनी दिखाई दे रही हैं। कोरोना संक्रमण के बीच हम सबकी जिम्मेदारी है कि न सिर्फ अपने बल्कि इंसानियत के भले के बारे में सोचें। खुदा कभी भी बुराई के रास्ते पर चलना नहीं सिखाता है। खुदा किसी से भी भेदभाव नहीं करता है, उसकी नजरें इनायत सभी पर एक समान होती हैं। इस दुनिया में आकर ही लोग एक-दूसरे से भेदभाव करते हैं। आज देश जिस बुरे वक्त से गुजर रहा है, ऐसे में हम सभी को मिलकर इंसानियत की सेवा करनी है। इस दौर में बहुत से गरीब व बेसहारा हैं, हर शाम को इफ्तारी के समय हमें अपने साथ-साथ ऐसे लोगों की भूख का भी इंतजाम करना चाहिए। यही अल्लाह के प्रति सच्ची इबादत है। इस समय के हालात में हम सभी को एक-दूसरे की मदद के लिए बिना भेदभाव के आगे आना चाहिए। तभी हम कोरोना जैसी महामारी पर जीत हासिल कर सकते हैं। यह समय अल्लाह की इबादत का पाक महीना है। लोगों की सेवा से ही अल्लाह की सच्ची इबादत की जा सकती है, अल्लाह के बताए रास्ते पर चलकर ही हम तरक्की हासिल कर सकते हैं।
-कमाल अहमद वरिष्ठ प्रबंधक, इंडियन बैंक।
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